1999 का युद्ध: पाक सैनिकों का गुपचुप तरीके से कारगिल की पहाड़ियों पर जा बैठने का मकसद क्या था?

Kargil War 1999: गुपचुप तरीके से घुसपैठ को अंजाम देना का मकसद सियाचिन से भारत को अलग-थलग करना था। भारत ने 1984 में सियाचिन पर कब्जा कर लिया था।

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Kargil War 1999: गुपचुप तरीके से घुसपैठ को अंजाम देने का मकसद सियाचिन से भारत को अलग-थलग करना था। भारत ने 1984 में सियाचिन पर कब्जा कर लिया था। यही वजह थी कि कहीं न कहीं पाकिस्तानी सेना का ये मकसद रहा होगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान की सेना को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। खास बात यह है कि युद्ध की शुरुआत से पहले पाकिस्तानी सेना काफी फायदे में थी। इस युद्ध को लेकर जो सबसे बड़ा सवाल सभी के मन में रहता है कि आखिरकार पाकिस्तानी सैनिकों का गुपचुप तरीके से कारगिल की पहाड़ियों पर जा बैठने का मकसद क्या था?

दरअसल भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देश हमेशा की तरह इस दौरान अपनी सेनाएं पीछे हटा लेते हैं। पर 1999 में भारत ने तो ऐसा किया पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया था। पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ को अंजाम दिया।

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माना जाता है कि इस तरह गुपचुप तरीके से घुसपैठ को अंजाम देने का मकसद सियाचिन से भारत को अलग-थलग करना था। भारत ने 1984 में सियाचिन पर कब्जा कर लिया था। यही वजह थी कि कहीं न कहीं पाकिस्तानी सेना का मकसद रहा होगा कि सियाचिन ग्लेशियर की लाइफ लाइन एनएच-1 डी को किसी तरह काटकर उस पर नियंत्रण किया जाए।

युद्ध के दौरान पाक सेना इस घुसपैठ के जरिए ना सिर्फ कारगिल पर कब्जा करना चाहती थी, बल्कि लेह और सियाचिन ग्लेशियर तक भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को भी काटना चाहती थी। ताकि वहां पर भी कब्जा किया जा सके। हालांकि सेना ने उसके नापाक मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। सेना ने ऐसी रणनीतिक योजनाओं पर काम किया, जिसके आगे पाकिस्तान बुरी तरह से विफल साबित हुआ।

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