शहीद होने से पहले परमवीर चक्र विजेता मनोज पांडेय ने लिखा था परिवार को खत, जानें क्या कहा था

‘परमवीर चक्र’ विजेता मनोज कुमार पांडेय (Captain Manoj Kumar Pandey) ने शहादत से पहले अपने दोस्त को एक खत लिखा था। उन्होंने युद्ध के दौरान अपने अनुभवों को दोस्त के साथ साझा किया था।

Captain Manoj Kumar Pandey

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Kargil War: ‘परमवीर चक्र’ विजेता मनोज कुमार पांडेय (Captain Manoj Kumar Pandey) ने शहादत से पहले अपने दोस्त को एक खत लिखा था। उन्होंने युद्ध के दौरान अपने अनुभवों को दोस्त के साथ साझा किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। हमारे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कारगिल वाले क्षेत्रों में वह जबरन घुस आया था लेकिन उतनी ही बुरी तरह से खदेड़ा भी गया था।

पाकिस्तान को मिली इस हार के पीछे हमारे वीर सपूतों का बलिदान और त्याग था। पर एक जवान की इस युद्ध में अहम भूमिका थी, वो थे ‘परमवीर चक्र’ विजेता मनोज कुमार पांडेय (Captain Manoj Kumar Pandey)। वे जंग के मैदान में ही शहीद हो गए थे। उनके आखिरी शब्द थे, ‘ना छोड़नूं…’। मतलब था दुश्मनों को भूलकर भी मत छोड़ना।

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उन्होंने इससे पहले अपने दोस्त को एक खत लिखा था। उन्होंने युद्ध के दौरान अपने अनुभवों को दोस्त के साथ साझा किया था और इस खत को सभी को पढ़ाने के लिए कहा था।

वे 29 जून, 1999 के दिन अपने खत में लिखते हैं, “इस ऊंचाई पर दुश्मनों के साथ लड़ना काफी मुश्किल है। दुश्मन बंकर में छिपा है और हम मजबूरन खुले में हैं। दुश्मन प्लानिंग के साथ जंग के मैदान में उतरा है। वह ज्यादातर चोटियों पर कब्जा करने में कामयाब हुआ है। शुरुआत में हमारी हालात खराब थी, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है।”

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वे आगे कहते हैं, “मैं चार बार मौत का सामना कर चुका हूं। मैंने पिछले जन्म शायद अच्छे कर्म किए हैं इस वजह से अबतक जिंदा हूं। मैं नहीं जानता अगले ही क्षण क्या होने जा रहा है। मैं सबको भरोसा दिलाता हूं कि हम दुश्मनों को खदेड़ देंगे। भारतीय सेना की बात ही कुछ और है। सर्दी बहुत है लेकिन बर्फ भी पिघलने लगी है। सभी को मेरा हैलो कहना और जब मैं लौटूंगा तो ढेर सारी बातें करेंगे।”

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