शहीद नरेश सिनसिनवार: कारगिल युद्ध में भारी संख्या में तैनात पाक सैनिकों के साथ जा भिड़े थे, बचपन से था सेना में भर्ती होने का सपना

Kargil War: बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग के दौरान जवानों का अपहरण कर लिया गया था। पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाए बैठे पाकिस्तानी सेना के जवानों ने घात लगाकर हमला किया था।

Kargil War

Kargil War: 15 मई 1999 को कश्मीर की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग के दौरान अपहरण कर लिया गया था। पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाए बैठे पाकिस्तानी सेना के जवानों ने घात लगाकर हमला किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान भारतीय सेना ने जान की परवाह किए बिना भारी तादाद में सामने खड़े दुश्मनों से मोर्चा लिया था। सेना ने ऐसे कई मौकों पर अपना जज्बा दिखाया। ऐसे ही पांच जवानों की एक टुकड़ी ने भी किया था। पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद तुरंत मोर्चा संभालने वाली इस टुकड़ी की शहादत की कहानी आज भी याद की जाती है।

इस टुकड़ी के एक वीर जवान उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ गोंडा क्षेत्र के गांव छोटी बल्लम निवासी नरेश सिनसिनवार भी थे। दुश्मनों की ज्यादा संख्या होने की वजह से उन्हें और उनके साथियों को घेरकर पकड़ लिया गया था। नरेश सिनसिनवार समेत सभी पांच सैनिकों के साथ बेरहमी से पेश आया गया था।इसके बावजूद अंतिम सांस तक शत्रु सेना अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाई। नरेश सिंह कैप्टन सौरभ कालिया के उस गश्ती दल में शामिल थे, जिन्हे सबसे पहले इस घुसपैठ का पता चला और उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस घुसपैठ के बारे में सूचित किया था।

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दरअसल 15 मई 1999 को कश्मीर की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग के दौरान अपहरण कर लिया गया था। पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाए बैठे पाकिस्तानी सेना के जवानों ने घात लगाकर हमला किया था। हालांकि इस दौरान दोनों ओर से भीषण मुठभेड़ हुई थी। पर पाकिस्तानी सैनिक ज्यादा संख्या में थे और उनके पास हथियार भी ज्यादा थे।

वहीं हमारे वीर सपूतों के हथियारों की गोलियां खत्म हो गई थीं। लिहाजा पाक सेना ने सभी का अपहरण कर लिया। 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। शवों के साथ ऐसी बर्बरती की गई थी।

नरेश सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। पिता राजेंद्र सिंह के दो पुत्रों में नरेश सिंह छोटे पुत्र थे। इन्हें बचपन से ही खेलकूद का बहुत शौक था। बड़े होने पर इन्होंने सेना में जाने का निर्णय लिया ताकि देश के लिए कुछ करके दिखा सकें। वे 4 जाट रेजिमेंट में सिपाही के रूप में शामिल हुए थे।

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