Donald Trump

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी युद्ध (America Election) का बिगुल फूंका जा चुका है। जो बिडेन अमेरिकी चुनावों के दौरान अपने भाषणों में भारत के लिए खासा प्रेम दिखा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सुरक्षा संबंधी खतरे को देखते हुए अपने देश में भी टिक टॉक पर बैन लगा दिया है। ट्रंप ने कहा, जहां तक टिक टॉक (Tik Tok) का सवाल है, तो हम इसे बैन कर रहे हैं।

भारत (India) के बाद अब अमेरिका (America) में भी चीनी ऐप टिक टॉक (Tik Tok) पर प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 31 जुलाई को कहा कि वह अमेरिका में तेजी से प्रचलित हो रहे टिक टॉक ऐप को बंद करेंगे।

उन्होंने (Donald Trump) कहा‚ ‘मेरे प्रशासन ने चीन एवं यूरोप से आने वाले लोगों के प्रवेश पर बहुत जल्द प्रतिबंध लगाकर लोगों की जिंदगियां बचाई। मैं चाहता हूं कि हर कोई यह जान ले कि हम चीनी वायरस से लड़ने और अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए संघीय सरकार की सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

तेहरान के प्रॉसिक्यूटर अली अलकासिमेहर ने बताया है कि इस मामले में इंटरपोल से मदद मांगी गई है। हालांकि इंटरपोल ने कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने बताया है कि हमने इंटरपोल से अमेरिकी राष्ट्रपति समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने की भी अपील की है।

संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं की बदौलत पिछले 75 वर्षों में कोई विश्वयुद्ध नहीं हुआ है। लेकिन बढ़ते शहरीकरण, वैश्वीकरण और सामाजिक विषमताओं के चलते और कई विश्वव्यापी संकट खड़े हो गए हैं जिन के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र और उसकी संस्थाएं अक्षम नज़र आने लगी हैं।

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा सुधार हो जो किसी विरोध या आंदोलन के बिना हुआ हो। अफ़्रीकावंशी काले नागरिकों के साथ होने वाले भेदभाव के विरोध में हो रहे Black Lives Matter या BLM आंदोलन को लेकर जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भन्ना रहे थे, तब पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने एक छात्रसभा में कहा था, अमेरिकी लोकतंत्र भी विरोध आंदोलनों की ही देन है।

Black Lives Matter आंदोलन से किसी नाटकीय बदलाव की उम्मीद करने से पहले हमें पश्चिमी एशिया के अरब देशों में चले उस अरब स्प्रिंग या वसंत आंदोलन को याद कर लेना चाहिए जिसके बाद लोकतंत्र के नए वसंत आने की बजाय तानाशाही के पतझड़ों की वापसी हुई थी।

इस पूरे घटनाक्रम से बौखलाए राष्ट्रपति ट्रंप (Donald Trump) ने अमेरिका (America) के मुख्य शहरों में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को तुरंत रोकने की बात कहते हुए अपने राज्यों के गवर्नरों को ये आदेश दिया है कि वो नेशनल गार्ड के जवानों की तैनाती करके हिंसा को काबू करने का प्रयास करें और यदि वो ऐसा नहीं करते तो मजबूरन उन्हें सेना की तैनाती करनी पड़ेगी।

अमेरिका का राष्ट्रपति अपने नागरिकों का रोष ठंडा करने के लिए शांति और सहानुभूति की बातें करने की बजाय गोलियों से उड़ाने की ऐसी धमकियां दे जिनमें नस्लवादी ज़माने के भड़काऊ नारों की गूंज सुनाई देती हो, तो वह संयोग की बात नहीं हो सकती।

अमेरिका का राष्ट्रपति अपने नागरिकों का रोष ठंडा करने के लिए शांति और सहानुभूति की बातें करने की बजाय गोलियों से उड़ाने की ऐसी धमकियां दे जिनमें नस्लवादी ज़माने के भड़काऊ नारों की गूंज सुनाई देती हो, तो वह संयोग की बात नहीं हो सकती।

डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट से लगता है कि अगर वह नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में हारे तो वह नतीजों को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे।

एक से दो करोड़ प्रवासी मज़दूरों की बात भी कर लें तो 10 से 20 हज़ार करोड़ रुपए महीने के ख़र्च पर इन्हें सड़कों पर ठोकरें खाने और अपने साथ वायरस को फैलाने से बचाया जा सकता था। 200 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था में क्या एक-दो महीने एक-दो करोड़ बदहाल लोगों का गुज़र चलाने के लिए अर्थव्यवस्था के एक हज़ारवें हिस्से की गुंजाइश भी नहीं थी?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कोरोना वायरस (Corona Virus) की दवाईयां और वैक्सीन बनाने में जुटे भारवतंशी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सराहना की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले शुक्रवार को तीन ट्वीट किए। मिनिसोटा की आज़ादी! मिशिगन की आज़ादी और वर्जीनिया की आज़ादी! आपको क्या लगता है केवल कन्हैया कुमार और शाहीन बाग़ के लोग ही आज़ादी के नारे लगाना जानते हैं? ट्रंप भी किसी से पीछे नहीं हैं।

कोरोना वायरस (COVID-19) के अमेरिका में बढ़ते संक्रमण को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपने देशवासियों को आगाह किया है।

कोरोना वायरस (Coronavirus) से दुनियाभर में हाहाकार मची है। भारत में भी संक्रमण बढ़ रहा है। इसी बीच अमेरिका ने दूसरे देशों की ओर मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।

यह भी पढ़ें