अमेरिका: चुनाव हारे तो भी राष्ट्रपति पद नहीं छोड़ेंगे डोनाल्ड ट्रंप?

डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट से लगता है कि अगर वह नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में हारे तो वह नतीजों को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे।

Donald Trump

अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Elections) होने हैं। नवंबर में होने वाले चुनाव में फैसला होगा कि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) अगले चार साल के लिए राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे या वह जॉर्ज बुश सीनियर के बाद एक ही कार्यकाल पूरा करने वाले पहले अमेरिकी प्रेसिडेंट होंगे। अगर डोनाल्ड ट्रंप हारे तो उन्हें अगले जनवरी में सत्ता नए राष्ट्रपति को सौंपनी होगी। अमेरिका में सत्ता का ट्रांसफर अभी तक बेहद सद्भावना से होता रहा है, लेकिन ट्रंप पुराने सभी मानकों, आदर्शों और परंपराओं को तोड़ने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि ट्रंप अपनी हार आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप का एक हालिया ट्वीट इस आशंका को और गहरा करता है। प्रेसिडेंट ट्रंप का यह ट्वीट मेल-इन बैलट यानी डाक मतपत्रों को लेकर था। अमेरिका में मेल-इन बैलट काफी लोकप्रिय हैं और काफी लोग इनका इस्तेमाल करते हैं। कोरोनावायरस के कारण इस बार के चुनाव में कई लोग मेल-इन बैलट का तरीका चुन सकते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट में झलका खतरा

ट्रंप ने अपने ट्वीट में लिखा, “ऐसा असंभव (शून्य) है कि मेल-इन बैलट भारी धोखाधड़ी से कम कुछ भी और हों। मेल बॉक्स लूटे जाएंगे, फर्जी बैलट बनाए जाएंगे और गैर-कानूनी रूप से छापे भी जाएंगे और साइन भी किए जाएंगे. चुनाव में धांधली होगी.”

मेल-इन बैलट पर ट्रंप का इस तरह से निशाना साधना एक अंदेशे को हवा देता है। डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर पर बहुत कुछ लिखते रहते हैं। आमतौर पर वह या तो अपनी तारीफ कर रहे होते हैं, अपने विरोधियों पर निशाना साध रहे होते हैं या किसी बड़े मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए कोई नया विवाद गढ़ रहे होते हैं। लेकिन ट्रंप का मेल-इन बैलट पर किया गया ट्वीट थोड़ा अलग है। यह किसी विरोधी पर निशाना साधने या ध्यान भटकाने की कोशिश से अलग अमेरिकी चुनाव व्यवस्था पर हमला है।

डोनाल्ड ट्रंप के लिए अमेरिकी चुनाव व्यवस्था पर हमला करना नया नहीं है। 2016 में उन्होंने दावा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में करीब 30 से 50 लाख फर्जी वोट पड़े। हालांकि उनके इस आरोप के पीछे कोई आधार और सबूत नहीं हैं। रोचक बात है कि यह चुनाव ट्रंप ही जीते थे। सवाल यह है कि अगर ट्रंप जीतने पर इतना बड़ा आरोप लगा सकते हैं तो क्या होगा जब वह चुनाव हार जाएंगे?

अमेरिका में मेल-इन बैलट अधिकतर शहरी इलाकों में आते हैं और आमतौर पर डेमोक्रेट्स के पक्ष में जाते हैं। मेल-इन बैलट की गिनती देर तक चलती है और कई बार इनके पूरे आंकड़े चुनाव के कई दिन बाद ही मिल पाते हैं। ऐसे में अगर बड़ी संख्या में मेल-इन बैलट आए तो वह चुनाव के नतीजों को पलट सकते हैं।

2016 में ट्रंप की जीत का कारण पेंसिलवेनिया, मिशीगन और विस्कोंसिन जैसे अहम राज्यों में उनकी जीत थी। हालांकि, यहां उनकी जीत का अंतर 70,000 मतों से भी कम का था। फर्ज करिए कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप बेहद कम अंतर से इन राज्यों में जीत रहे हों और मेल-इन बैलट की गिनती से नतीजा बदल जाए। ऐसे में क्या ट्रंप और उनके समर्थक इस नतीजे को मानेंगे?

द गार्डियन में लॉरेंस डगलस लिखते हैं कि मेल-इन बैलट पर ट्रंप का ट्वीट कहीं न कहीं भविष्य में चुनावी नतीजों को नकारने की जमीन तैयार कर रहा है। डगलस के मुताबित, अगर ट्रंप नवंबर में मेल-इन बैलट के कारण हारे तो वह इसे धांधली कहकर नकार सकते हैं। ऐसा बिल्कुल हो सकता है और अमेरिका को इस स्थिति के लिए तैयार रहना होगा।

अमेरिका में आएगा संवैधानिक संकट?

जाहिर है ऐसा हुआ तो अमेरिकी में कभी ने देखा गया संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है। 

वाशिंगटन पोस्ट में ब्रायन क्लास लिखते हैं कि ट्रंप लगातार ऐसे ट्वीट करते रहे हैं जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कोई “डीप स्टेट” है जो उनकी सरकार गिराना चाहता है। उनके खिलाफ किसी “गहरी साजिश” के यह संदेश उन लोगों के लिए हैं जो ट्रंप के सबके धुर समर्थक हैं। चिंता की बात है कि इन्हीं लोगों के पास अमेरिका में सबसे अधिक हथियार भी हैं।

क्लास लिखते हैं, “क्या होगा अगर ट्रंप हार जाते हैं और ट्विटर पर जाकर कहते हैं कि वह असल में जीत गए हैं? यह बेहद खतरनाक स्थिति हो सकती है।”

सत्ता में बैठे लोगों का चुनाव नतीजे स्वीकार न करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन अमेरिका जैसी डेमोक्रेसी के लिए यह अकल्पनीय बात है। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिकी में बहुत सी अकल्पनीय चीजें हो चुकी हैं। ऐसे में अगर ट्रंप चुनाव में हार के बाद सत्ता छोड़ने से इंकार कर दें तो यह चौंकाने वाली बात नहीं होगी।

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