India China Border

चीन ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) पर कई महत्वपूर्ण सेक्टरों पर सैनिकों की संख्या और हथियार दोनों बढ़ा दिए हैं।

पलानी (Havaldar K. Palani) हमेशा ही कर्नल संतोष बाबू के साथ पेट्रोलिंग में जाया करते थे। वह उन्हें सुरक्षा कवच देते थे। उस रात भी पलानी संतोष बाबू के साथ कवच बनकर चले, लेकिन भारी भरकम दुश्मनों के हमले से उन्हें बचा नहीं पाए।

चीन ने 1960 के बॉर्डर टॉक में भी गलवान घाटी (Galwan Valley) पर दावा किया था। भारत का नक्शा दिखाया था लेकिन गलवान के वाई-नाला पर चीन ने तब खुद दावा भी नहीं किया था। हकीकत ये है कि गलवान पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 की जगह चीनी नक्शे में भी कभी चीन का हिस्सा नहीं रहा।

In a small plot on the outskirts of Leh is an enclosed compound with a dozen odd graves. Those passing by barely notice the compound. There lie some of those killed during the operations. Unsung, they too had helped save Ladhak

भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए निवेश करने की चीन की नीति में भी परिवर्तन कर दिया है। चीन को लगता है कि इस आर्थिक वार में उसको नुकसान होगा इसलिए फौरी तौर पर युद्ध विराम कर लिया जाए ताकि भारत में जो राष्ट्रवाद का उफान खड़ा हुआ है‚ उसे ठंड़ा पड़ने दिया जाए।

भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए निवेश करने की चीन की नीति में भी परिवर्तन कर दिया है। चीन को लगता है कि इस आर्थिक वार में उसको नुकसान होगा इसलिए फौरी तौर पर युद्ध विराम कर लिया जाए ताकि भारत में जो राष्ट्रवाद का उफान खड़ा हुआ है‚ उसे ठंड़ा पड़ने दिया जाए।

देश की रक्षा करते हुए मध्य प्रदेश के रीवा जिले का भी एक लाल शहीद हो गया। जिले के मनगवां थाना के फरेहदा गांव के दीपक सिंह लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात चीनी सैनिकों से लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो गए। लोग सुबह से ही शहीद दीपक सिंह (Martyr Deepak Singh) के घर में पहुंचने लगे। जहां अपने इस लाल के खोने का उन्हें गम था, वहीं इस बात को लेकर गर्व है कि विंध्य के लाल ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

15 जून की रात चीनी सैनिकों की झड़प में बिहार के वैशाली जिले का लाल भी शहीद हो गया। 17 जून को जिले के जंदाहा थाना क्षेत्र के चकफतेह गांव के 22 साल के जांबाज बेटे सिपाही जय किशोर सिंह (Martyr Jai Kishor Singh) की शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।

शहादत से पहले मनदीप दिलेरी से दुश्मन सेना से लड़ रहे थे। बहादुरी का यह किस्सा बयां करते मनदीप सिंह के भाई निर्मल का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। उन्होंने बताया कि मनदीप (Martyr Mandeep Singh) किसी के रोके नहीं रुक रहा था।

भारत-चीन सीमा पर हुई हंसक झड़प में बिहार के जवान चंदन कुमार शहीद हो गए। शहीद चंदन कुमार (Martyr Chandan Kumar) बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड की कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा गांव के रहने वाले थे।

भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से एक बयान जारी कर बताया गया कि बातचीत बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में रचनात्मक और सकारात्मक रही। दोनों पक्षों (India China) के बीच तनाव दूर करने‚ पीछे हटने पर सहमति बन गई है। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी क्षेत्रों से पीछे हटने के तौर तरीकों पर आगे चर्चा होगी।

अब चीन सीमा विवाद को सुलझाने की बजाय धीरे-धीरे सीमा के अधिक से अधिक हिस्से को अपने कब्ज़े में लेना चाहता है। लद्दाख की सीमा की बात करें तो चीन 1959 की सीमा को सही सीमा मानता है और भारत 1962 की लड़ाई के बाद की सीमा को सही सीमा मानता है।

सेना सूत्रों का कहना है कि चीन अपना गोल पोस्ट गलवान घाटी से डिप्संग के मैदान पर दावा करना चाहता था‚ लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी मुश्किल गलवान नाला था। यह नाला बहुत संकरा और कठिन है। इसको पार करने के लिए उसे भारतीय सेना (Indian Army) की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा था।

भारत-चीन बार्डर (India China Border) पर पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में मानसा के गांव बीरेवाला डोगरा के सैनिक गुरतेज सिंह हो गए।

भारतीय सेना (Indian Army) और चीन की फौज के बीच गतिरोध के मध्य केंद्र सरकार ने भारत–चीन सीमा पर चल रही सड़क परियोजनाओं की समीक्षा की और उनमें से 32 परियोजनाओं के काम में तेजी लाने का निर्णय लिया गया।

पंजाब रेजिमेंट के जवान गुरबिंदर सिंह (Martyr Gurbinder Singh) थोड़े दिन पहले ही पहली बार लद्दाख में तैनात हुए थे। अभी आठ महीने पहले ही उनकी मंगनी हुई थी और घर में शादी की तैयारियां चल रही थी।

लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प में पंजाब के सतनाम सिंह शहीद हो गए। गुरदासपुर के कलानौर के भाजराज में जब शहीद सतनाम सिंह (Martyr Satnam Singh) का पार्थिव शरीर पहुंचा तो लोगों ने फूलों की बारिश की और शहीद सतनाम अमर रहें के घोष से आसमान गूंज उठा।

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