India China Border Tension
पूर्वी लद्दाख के पास गलवान घाटी (Galwan Valley) के तनाव वाले इलाकों में चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है और सैन्य निर्माण को जारी रखा है। दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत के बावजूद चीन ने विवादित इलाकों के पास निर्माण कार्य को नहीं रोका है। भारत भी लद्दाख में अपनी सैन्य ताकत लगातार बढ़ा रहा है। बुधवार को लद्दाख के आसमान में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के फाइटर जेट उड़ान भरते दिखे।
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भारतीय सेना (Indian Army) पूरी मुस्तैदी से देश की एक-एक इंच जमीन की हिफाजत कर रही है और जब तक चीन का आखिरी सैनिक, आखिरी पोस्ट, आखिरी तंबु, आखिरी हथियार बहुत पीछे नहीं चला जाता तब तक भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी। खबर तो यहां तक है कि चीनी सेना से निपटने के लिए नए गोला बारूद का ऑर्डर दे दिया गया है। ऐसे में चीन को समझ लेना चाहिए कि अगर उसने अपने बंकर खुद नहीं हटाए तो भारतीय सेना (Indian Army) उसे उड़ाएगी।
गलवान (Galwan Valley) में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर बातचीत हुई और अब दोनों देश सेना हटाने पर सहमत हो गए हैं। बता दें कि चीन की फितरत है कि जब कोई नहीं देख रहा तो दो कदम आगे बढ़ जाओ और जब टोका जाए तो एक कदम पीछे खींच लो, लेकिन भारतीय सेना (Indian Army) चाहती है कि अगर चीन ने दो कदम बढ़ाए हैं तो वह दो कदम ही पीछे हटे।
वहीं अब गलवान घाटी (Galwan Valley) की सैटलाइट से मिली ताजा तस्वीरों से संदेह उठने लगा है कि चीन, भारत को धोखा दे रहा है। इस तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि चीन गलवान में झड़प की जगह के पास ही बचाव के लिए बंकर बना रहा है। इस जगह पर चीन ने छोटी-छोटी दीवारें और खाई बनाई हैं।
-Images by @Nrg8000 spotted a camp at #GalwanValleyFaceOff on 22.05.2020
-Images by @Reuters spot debris in the area on 16.06.2020–#India said #China set up a temp structure that led to the clash, media said the #IndianArmy Col burnt it down
Composite image below pic.twitter.com/FQFV3DxmJk
— d-atis☠️ (@detresfa_) June 19, 2020
बता दें कि गलवान घाटी (Galwan Valley) की ताजा सैटलाइट तस्वीरें ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट डेटरेस्फा (Detresfa) ने जारी की हैं। ताजा तस्वीरों से अब चीन की मंशा को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। माना जा रहा है कि चीन बातचीत की आड़ में अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत कर रहा है।
वहीं 134 किलोमीटर लंबे पैंगोंग लेक का पानी बर्फ से भी ठंडा है लेकिन यहां स्ट्रैटेजिक गर्मी बहुत है। इसी पैंगोंग लेक के पास चाइनीज आर्मी का सबसे बड़ा और नया बिल्ड अप देखा जा रहा है। डेटरेस्फा (Detresfa) के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पैन्गॉन्ग-सो झील इलाके में अभी भी डेरा जमा रखा है, पैंगोंग लेक का उत्तरी हिस्सा चीन के कब्जे में है और दक्षिणी हिस्सा हिंदुस्तान के कब्जे में। यहां एलएसी जिस जगह से गुजरती है वह फिंगर एरिया है। उसी फिंगर एरिया में चीन और भारत की सेना आमने-सामने खड़ी है।
मई में करीब 5000 चीनी सैनिक उस इलाके में घुस आए हैं जहां इंडियन आर्मी पैट्रोलिंग करती थी। चीन ने बंकर बना लिए हैं, पिलबॉक्स खड़े कर लिए हैं और रिजलाइन यानी पहाड़ी चोटियों पर तोपखाना लगा लिया है।
गौरतलब है कि चीन ने 1960 के बॉर्डर टॉक में भी गलवान घाटी (Galwan Valley) पर दावा किया था। भारत का नक्शा दिखाया था लेकिन गलवान के वाई-नाला पर चीन ने तब खुद दावा भी नहीं किया था। हकीकत ये है कि गलवान पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 की जगह चीनी नक्शे में भी कभी चीन का हिस्सा नहीं रहा।
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