विकास का पहिया

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ लड़ाई जोरों पर है। नक्सलियों (Naxals) की नकेल कसने के लिए सुरक्षाबल मुस्तैद हैं। अब नक्सलियों के गढ़ में विकास पर जोर दिया जा रहा है।

झारखंड में रहने वाले आदिम जनजाति परिवारों की किस्मत बदलने वाली है। सरकार ने इस जनजाति के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

झारखंड (Jharkhand) के नक्सल प्रभावित पश्चिमी सिंहभूम की महिलाओं ने अपनी लगन की दम पर एक छोटी सी कोशिश से शुरुआत की और अब उसके बड़े परिणाम सामने आने लगे हैं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) की लड़कियों के लिए जितना शिक्षा और स्वरोजगार आवश्यक है, उतनी ही आत्मरक्षा भी। इसलिए नक्सल इलाके की लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है।

इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी पीढ़ियों में पहली बार मैट्रिक की परीक्षा पास की है। ये बच्चे साइबर कैफे की सहायता से आगे की पढ़ाई की व्यवस्था कर रहे हैं।

दरअसल बीते कुछ समय से बस्तर के स्थानीय नक्सली लगातार लाल आतंक का रास्ता छोड़ रहे हैं और मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं। इसी वजह से नक्सलियों का जनाधार गिरता जा रहा है।

मुख्यमंत्री बघेल की विशेष पहल पर वन अधिकार अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्रों के निवासियों को भी वन अधिकार पत्रक देने की शुरुआत की गई है।

सरकार ने ग्रामीण कृषि बाजारों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों को जोड़ने वाली कुल 9338 किलोमीटर सड़क निर्माण को मंजूरी दी थी।

इस बार कोड का सबसे बड़ा फायदा ये है कि अगर सफाईकर्मी, सफाई करने के लिए नहीं पहुंचा तो बार कोड से उनकी लापरवाही सामने आ जाएगी।

छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Governmnent) ने छात्रों की पढाई का नया तरीका ढूंढ निकाला है। सप्ताह भर में इस योजना पर अमल करने का आदेश भी दे दिया गया है। सरकार को विश्वास है कि इससे छात्र कोरोना (COVID-19) के संक्रमण से दूर भी रहेंगे और पढ़ाई भी कर सकेंगे।

ये इलाके पहले विकास से कोसों दूर थे लेकिन अब यहां मोबाइल टावर भी लग गया है और यहां के लोग गूगल भी चलाते हैं।

8 जुलाई को सरेंडर करने के बाद 2 लाख के इनामी नक्सली प्रकाश करताम उर्फ पांडू ने मांग की थी कि उसे ट्रैक्टर दिया जाए , जिसके बाद जिला प्रशासन ने इसका इंतजाम किया.

सेना का कहना है कि महिलाओं को देश सेवा का अवसर देने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार...

झारखंड (Jharkhand) में कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान बंद स्कूल में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए राज्य सरकार के साथ-साथ शिक्षक भी अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं।

नक्सलवाद (Naxalism) को उखाड़ फेंकने के लिए सरकार और प्रशासन हर संभव कोशिश कर रहा है। सख्ती के साथ-साथ सरेंडर की नीतियां भी रंग ला रही हैं। इससे नक्सली (Naxals) मुख्यधारा से लगातार जुड़ रहे हैं। पर, नक्सलवाद के खात्मे के इस मिशन में उन इलाकों का विकास बेहद जरूरी है, जो लाल आतंक का दंश झेल रहे हैं।

इरादा अगर पक्का हो तो सफलता जरूर मिलती है। इसे साबित कर दिखाया है झारखंड (Jharkhand) के गिरिडीह के धुर नक्सलग्रस्त गांव जरूवाडीह की बेटी मनीषा कुमारी ने।

छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) जिला, जिसकी पहचान नक्सलवाद (Naxalism) से होती है, उसी बस्तर जिले के एक छोटे से पंचायत की इस पहल ने देश भर में कोरोना के संकटकाल में मिसाल कायम किया है।

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