बस्तर का नक्सल प्रभावित भाटपाल पंचायत बना शिक्षा की मिसाल, कोरोना काल में घर बैठे लाउडस्पीकर से पढ़ाई कर रहे बच्चे

छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) जिला, जिसकी पहचान नक्सलवाद (Naxalism) से होती है, उसी बस्तर जिले के एक छोटे से पंचायत की इस पहल ने देश भर में कोरोना के संकटकाल में मिसाल कायम किया है।

Bastar

कोरोना के दौर में घर बैठे लाउडस्पीकर के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा।

आपने लाउडस्पीकर का उपयोग मस्जिदों में अजान और मंदिरों की पूजा के साथ राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में तो देखा ही होगा। पर बस्तर जिले का भाटपाल पंचायत ऐसा है, जहां लाउडस्पीकर से बच्चे अपने घरों में बैठे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) जिला, जिसकी पहचान नक्सलवाद (Naxalism) से होती है, उसी बस्तर जिले के एक छोटे से पंचायत की इस पहल ने देश भर में कोरोना के संकटकाल में मिसाल कायम किया है।

यह प्रदेश ही नहीं देश का पहला ऐसा पंचायत है जहां लाउडस्पीकर से बच्चे घर बैठे पढ़ाई कर रहे हैं। बता दें कि देश भर में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकारें लाख जतन कर रही हैं। पर, बस्तर (Bastar) के वे इलाके जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं पहुंच सकी है, वहां के लिए यह एक नजीर है।

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दरअसल, कोविड-19 (COVID-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन किया गया था। इसी के तहत 23 मार्च से बस्तर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में स्कूल बंद हैं। हालांकि, लॉकडाउन में काफी रियायतें मिली है, पर स्कूलों को अब भी बंद रखा गया है। इससे बच्चों की पढ़ाई में काफी रुकावटें आ रही हैं। जिसको देखते हुए बस्तर (Bastar) के भाटपाल पंचायत के सरपंच और पंचायत के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की मदद से एक अनोखी पहल की।

सरपंच ने पंचायत के सभी 8 मोहल्लों में लाउडस्पीकर लगाकर बच्चों की पढ़ाई शुरू करा दी। इसका असर यह हुआ कि अब बच्चे लाउडस्पीकर की आवाज सुनते ही घरों के बाहर निकलकर अपने पढ़ने की जगह पर पहुंच जाते हैं। वे अपने हाथों को सेनेटाइज कर सामाजिक दूरी बनाते हुए पढ़ाई करते हैं।

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बच्चों के अनुसार, काफी समय से स्कूल बंद है और ऐसी स्थिति में पढ़ाई में मुश्किलें आनी लगी थीं। पर, अब उनको पढ़ाई के साथ-साथ अन्य बातों का ज्ञान भी हो रहा है, क्योंकि लाउडस्पीकर से न केवल सब्जेक्ट से जुड़ी बातें सिखाई जा रही हैं बल्कि अन्य सामाजिक ज्ञान भी दिया जा रहा है। इससे अंदरूनी इलाकों के बच्चों का मानसिक विकास भी हो रहा है। लाउडस्पीकर के चालू होते ही बच्चे तो उत्साहित होकर पढ़ने बैठते ही हैं, साथ ही बच्चों के अभिभावक भी उत्साह से लाउडस्पीकर की बातों को सुनते और सीखते हैं।

अभिभावकों का कहना है कि उनके समय में इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं हुआ करते थे, तो उन्हें इंग्लिश का कुछ भी ज्ञान नहीं है। पर जब से पंचायत में लाउडस्पीकर से पढ़ाई शुरू हुई है, तब से उनको भी इंग्लिश के शब्दों का ज्ञान होने लगा है। साथ ही बच्चे तो पढ़ाई कर सीख ही रहे हैं पर इस नए तरीके से पढ़ाई के शुरू होने की वजह से अभिभावकों में भी खुशी है।

कोरोना संकट काल के बीच बस्तर (Bastar) के भाटपाल पंचायत का यह प्रयोग अपने आप मे मिसाल साबित हो रहा है। जिला प्रशासन ने तो जिले के अन्य पंचायतों में भी इस तरीके से पढ़ाई की शुरुआत कर दी है। प्रदेश सरकार भी कोरोना संकट को देखते हुए लाउडस्पीकर से पढ़ाई के इस नए तरीके को प्रदेश के अन्य जगहों पर भी लागू करने की तैयारी कर रही है।

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