सच के सिपाही

भारतीय सेना (Indian Army) जब-जब जंग के मैदान में उतरती है, दुश्मन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाता है। ऐसा कई बार देखा जा चुका है। आजादी के बाद भारत ने अपने ज्यादातर युद्ध पाकिस्तान के खिलाफ ही लड़े हैं।

13 अक्टूबर, 1962 के दिन चीनी सेना पैंगोंग झील के पास स्थित शिरजाप और यूला पर कब्जा करने की फिराक में थी। भारत ने भी इस पैंगोंग झील के पश्चिम में अपनी पोस्ट पहले से बनाई हुई थी। इसमें फर्स्ट बटालियन और 8 गोरखा रायफल को कमान सौंपी गई थी।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान सरहद पर तैनात रहकर देश की रक्षा करते हैं। हमारे वीर सपूत किसी भी सूरत में सीमा की रक्षा करते हैं। विपरीत परिस्थितियों में दुश्मनों को माकूल जवाब भी देते हैं।

पाकिस्तान तो बीते कुछ समय में भारतीय सेना पर आरोप लगा चुका है कि उन्होंने इसका इस्तेमाल भी किया है। आखिर ये  क्लस्टर बम क्या होता है और कितना घातक होता है?

नरेंद्र चौधरी भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते (Bomb disposal squad) का हिस्सा रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सल-प्रभावित इलाकों में कार्यरत रहे चौधरी ने बेखौफ ही इस काम को अंजाम दिया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के वीर सपूतों ने दुश्मनों को दिखाया था कि भारत मां की तरफ आंख उठाने वालों का क्या हाल किया जा सकता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान को हराकर हमारे वीर सपूतों ने पूरी दुनिया को संदेश दिया था कि भारत से उलझना आसान नहीं।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान दुश्मनों के नेस्तनाबूद करने के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार रहते हैं। सरहद पर दुश्मनों पर पैनी नजर रखी जाती है। किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए मुस्तैदी से नजर रखना महत्वपूर्ण होता है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान दुश्मनों को छलनी करने के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तत्पर रहते हैं। किसी भी देश की सेना तभी मजबूत मानी जाती है जब उसे सारी सहुलियतें दी जाएं। सेना के जवान दिन रात कड़ी मेहनत कर सरहद की रक्षा करते हैं।

सोमनाथ आर्मी ग्राउंड (Somnath Army Ground) उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में स्थित कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्य परेड मैदान है। देश का पहला और सबसे बड़ा सैन्य सम्मान यानी 'परमवीर चक्र' पाने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा का वॉर मेमोरियल है।

भारतीय सेना (Indian Army) का पूरी दुनिया में डंका बजता है। भारतीय वीर सपूतों के बलिदान और शौर्य की गथाएं हर जगह मशहूर हैं। हमारे दुश्मन, सेना का नाम सुनते ही कांप उठते हैं।

भारतीय सेना (Indian Army) के खिलाफ अगर कोई भी आंख उठाकर देखता है तो उसे नेस्तनाबूद कर दिया जाता है। भारतीय सेना के जवान अपनी शौर्य और बलिदान के लिए विख्यात हैं।

आतंकियों (Terrorists) के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गोली लगने से सेना (Indian Army) के जवान त्रिवेश प्रकाश तिवारी शहीद हो गए। शहीद त्रिवेश प्रकाश तिवारी (Martyr Trivesh Prakash Tiwari) महज 24 साल के थे।

हथियारों के लिए सेनाओं की निर्भरता दूसरे देशों पर कम से कम हो इसके लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत मिसाइलों, बंदूकों और अन्य जरूरी उपकरणों का निर्माण हो रहा है।

ऐसे कई मौके आए हैं जब खुफिया विभाग द्वारा सेना को अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया हो। जैसे ही सेना अलर्ट हो जाती है दुश्मनों की प्लानिंग भी फेल हो जाती है।

मिसाइल के जरिए हवा के रास्त के किए जाने वाले हमलों को भी रोका जा सकेगा। यह मिसाइल हवा में ही लड़ाकू हवाई हथियारों और उपकरणों को नष्ट करे में सक्षम है।

डिफेंस कॉरिडर के जरिए सेना से जुड़े सामान का निर्माण किया जाता है। दरअसल डिफेंस कॉरिडोर एक रूट होता है, जिसमें कई शहर शामिल होते हैं।

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