जान की परवाह किए बिना अकेले ही 256 बम किए डिफ्यूज, बम निरोधक दस्ते के इस जवान ने पेश की बहादुरी की मिसाल

नरेंद्र चौधरी भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते (Bomb disposal squad) का हिस्सा रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सल-प्रभावित इलाकों में कार्यरत रहे चौधरी ने बेखौफ ही इस काम को अंजाम दिया।

Bomb disposal squad

फाइल फोटो।

Indian Army: नरेंद्र चौधरी भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते (Bomb disposal squad) का हिस्सा रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सल-प्रभावित इलाकों में कार्यरत रहे चौधरी ने बेखौफ ही इस काम को अंजाम दिया है। 

भारतीय सेना के जवान अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा करते हैं। सरहद पर हमारे जवान दिन-रात कड़ी मेहनत कर जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं। वहीं, देश के भीतर नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सेना के जवान काफी सक्रिय रहते हैं। नक्सली बीते कुछ साल में सेना के साथ-साथ आम नागरिकों को भारी क्षति पहुंचा चुके हैं।

नक्सलियों के नापाक मंसूबों को सेना के जवान हर दिन विफल कर रहे हैं। नक्सली बम विस्फोट के जरिए हमले करने की कोशिश करते हैं, जिसे जवान विफल कर देते हैं। भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते (Bomb disposal squad) के एक जवान ने अबतक अपने करियर में कुल 256 बम को डिफ्यूज किया है। अपनी जान की परवाह किए बिना इस जवान ने बहादुरी की मिसाल पेश की है।

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राजस्थान के रायपुर में जन्में सैनिक नरेंद्र चौधरी ने यह कारनामा किया है। वह भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते (Bomb disposal squad)  का हिस्सा रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सल-प्रभावित इलाकों में कार्यरत रहे चौधरी ने बेखौफ ही इस काम को अंजाम दिया है।

मालूम हो कि बम डिफ्यूज करना बेहद कठिन काम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जरा सी चूक होने पर बम फट सकता है। नरेंद्र चौधरी को उनके दोस्त और जानने वाले ‘स्टील मैन’ के नाम से भी पुकारते हैं।

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उन्होंने अपने शरीर और दिमाग को इस तरह से कंट्रोल किया था कि वे बम डिफ्यूज करते वक्त बेहद चतुराई और शांत मन से काम करते थे। नरेंद्र 50 किलोमीटर तक बिना पानी व खाने के चल सकते थे और इस कारण वे काफी लोकप्रिय भी थे। बताया जाता है कि वे बम डिफ्यूज करने की ट्रेनिंग देते वक्त बम के फट जाने की वजह से शहीद हो गए थे। सेना के इस जवान की बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा।

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