सच के सिपाही

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान देश की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं। हमारे जवान पीठ दिखाकर नहीं आते बल्कि जंग के मैदान में पूरा पराक्रम दिखाते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखा जा चुका है।

देश की रक्षा के लिए भारतीय सेना (Indian Army) के जवान किसी भी हद तक गुजरने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब हमारे जवानों ने जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान हर मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार रहते हैं। हमारे जवान दुश्मनों से देश को बचाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखा जा चुका है।

Igla Missile: ये मिसाइल ऐसे वक्त में काम आती हैं, अगर दुश्मन किसी भी तरह से हमारे एयरस्पेस में घुसने की कोशिश करता है तो उसे नाकाम किया जा सकता है।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी आईएसआई ने भी इस इलाके में बगावत को प्रोत्साहित किया है। इसके लिए कश्मीरियों को भड़काया जाता रहा है।

भारतीय सेना (Indian Army) सरहद पर बेहद ही सतर्क रहती है। सीमा पर हल्की सी भी ढील दुश्मनों को बड़ा मौका दे देती है। जवान दिन रात ड्यूटी कर सरहद की रक्षा में लगे रहते हैं।

भारतीय सेना (Indian Army) जब-जब जंग दुश्मनों के खिलाफ उतरती है, उन्हें नेस्तनाबूद करके ही लौटती है। भारतीय सेना ने अबतक सिर्फ एक ही युद्ध हारा है। यह युद्ध 1962 में चीन के खिलाफ लड़ा गया था।

भारतीय सेना (Indian Army) सीमा पर दिन रात ड्यूटी कर देश की रक्षा में लगी रहती है। जवान किसी भी हद तक गुजरकर भारत मां की रक्षा करते हैं। सेना द्वारा कई मौकों पर इसे साबित भी किया जा चुका है।

भारतीय सेना (Indian Army) को बीते कुछ सालों में एडवांस बनाने की दिशा में काम किया गया है। जवानों को एक से बढ़कर एक बेहतर साजो-सामान मिले, इसके लिए समय-समय पर अपग्रेडेशन की जाती है।

भारतीय सेना (Indian Army) के कमांडोज बेहद ही खतरनाक और हर चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं। कमांडोज का नाम सुनते ही दुश्मन की आत्मा तक कांप उठती है।

भारतीय सेना  (Indian Army) के कमांडोज ने साल 2016 में 28-29 सितंबर की रात को पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुसकर हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान के कई आतंकी लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया था।

भारतीय वीर सपूत अपनी जान की बाजी लगाकर भी सीमा की रक्षा करते हैं। बीते 8 महीने से भारत और चीन के बीच लद्दाख (Ladakh) में सबसे विवादित इलाके में शुमार पैंगॉन्ग लेक पर चीनी सेना का डिसएंगेजमेंट (Disengagement) चल रहा है।

भारतीय सेना (Indian Army) बीते तीन दशकों से लद्दाख में स्थिति सियाचिन ग्लेश्यिर की सुरक्षा कर रही है। भारत के लिए यह ग्लेशियर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

इलाके के लोगों और जवानों का मानना है कि बीते 45 साल से पंजाब रेजिमेंट में बतौर सिपाही बाबा हरभजन सिंह मरणोपरांत भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

ट्रेनिंग के दौरान इन कमांडोज को 33.5 हजार फीट की ऊंचाई से 50 जंप लगानी पड़ती है। इन जवानों को आगरा के एयरफोर्स पैरा ट्रेनिंग स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है।

लद्दाख (Ladakh) में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र यानी 20 हजार फुट की ऊंचाई स्थित सियाचिन पर हमारे सैनिक दिन रात डटे रहते हैं। ये वह जगह है जो कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस जगह पर थोड़ी सी भी ढिलाई भारत को काफी भारी पड़ सकती है।

भारतीय सेना (Indian Army) में शामिल होकर देश की रक्षा करने का अपना ही गौरव है। भारतीय युवा आर्मी में शामिल होकर अपना करियर तो बनाते ही हैं, साथ ही साथ देश की हर तरह के खतरों से रक्षा भी करते हैं।

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