1971 का युद्ध: …जब सरेंडर के पेपर लेकर ढाका पहुंच गए थे जनरल जेएफआर जैकब
पाकिस्तानी सेना के 26 हजार जवान वहां पाकिस्तान के जनरल एके नियाजी के नेतृत्व में सरेंडर को तैयार थे। हालांकि इसके बाद यह संख्या 93 हजार के पास हो गई थी।
इस वजह से दी जाती है 21 बंदूकों की सलामी, जानें वीरगति को प्राप्त सैनिक के लिए कैसे है ये खास
बंदूकों के जरिए विशेष क्रम की फायरिंग की जाती है जो कि एक शहीद सैनिक के सम्मान और बलिदान को प्रकट करती है। इस सैन्य परंपरा को '21-गन सल्यूट' कहा जाता है।
Kargil War 1999: चुनौतियां भी थीं और जीत का लक्ष्य भी, ऐसे थे जंग के दिन
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) में भारतीय सेना (Indian Army) ने जबरदस्त पराक्रम दिखाया था। इस युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को हराने के लिए हमारे जवान किसी भी हद तक गुजर गए थे।
Indo China War 1962: चीन कैसे जीत गया? ये मानी जाती हैं कुछ मुख्य वजहें
चीनी सेना बढ़िया हथियारों के साथ जंग के मैदान में उतरी थी जबकि भारतीय सेना के पास उतने बढ़िया हथियार नहीं थे। युद्ध बेहद ही सर्द इलाकों में लड़ा गया था।
Kargil War 1999: लेफ्टिनेंट कर्नल रामकृष्णन विश्वनाथन ने निभाई थी अहम भूमिका, ‘वीर चक्र’ से हुए सम्मानित
कई सैनिकों को ढेर किया था तो कई सैनिकों को घायल। इस टास्क में हमारे सभी जवानों ने अहम भूमिका निभाई थी जिनके पराक्रम की मिसाल आज भी पेश की जाती है।
लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी का कारगिल युद्ध में ऐसा था अनुभव, इनकी बटालियन ने किए थे चार सफल हमले
लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी युद्ध के सबसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्वाइंट टाइगर हिल को कब्जा करने वाली टीम के कमांडिंग ऑफिसर रहे।
24 की उम्र में तिरंगे की शान बचाने के लिए इस शहीद ने दिया था बलिदान, इंटरव्यू में दिए जवाब से आर्मी के दिग्गज हो गए थे हैरान
Kargil War 1999: मनोज पांडे जंग के मैदान में अपनी एक अलग ही कहानी लिखकर शहीद हुए। उन्होंने इस युद्ध में हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व किया था।
India China War 1962: सेवानिवृत्त ऑनरेरी कैप्टन लक्ष्मण सिंह डांगी का ऐसा था अनुभव, बताया हार की वजह
भारत और चीन के बीच साल 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। सीमित संसाधनों के बावजूद हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों का मुकाबला किया था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी, जबकि भारतीय सेना (Indian Army) पूरी तरह तैयार नहीं थी।
India Pakistan War 1971: सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की मां को बेटे पर है गर्व, कहती हैं- ‘जंग में चीते की तरह लड़ा’
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। पाकिस्तान (Pakistan) को इस युद्ध में वो सबक सिखाया गया था, जिसे यादकर वह आज भी कांप उठता होगा। इस युद्ध में जीत के साथ ही पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) पाकिस्तान से अलग हो गया था।
छुट्टी के बीच बिन बुलाए ही दुश्मनों से लोहा लेने पहुंच गए थे सूबेदार सेवाराम, परिवार ने आज भी सहेज रखी हैं उनकी यादें
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने दुश्मनों को बुरी तरह से खदेड़ा था। हमारे वीर सपूतों ने सरहदों पर हमेशा अपने खून से जमीन को सींचा है। इस युद्ध में जीत के लिए हमारे जवान किसी भी हद तक गुजर गए थे।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, 1948 के युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान (Brigadier Mohammad Usman) को बेहद ही बहादुर माना जाता था। कहा जाता है कि उनमें ऐसी काबिलियत थी कि वे थल सेना (Indian Army) के अध्यक्ष बन सकते थे।
India Pakistan War 1971: इस तरह जीत की ओर बढ़ता गया भारत, पाकिस्तान को पटखनी देने के बाद लगे थे नारे
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने जबरदस्त प्रहार कर दुश्मनों को नेस्तनाबूद किया था। पाकिस्तानी सेना हर मोर्चे पर विफल साबित हुई थी।
War of 1971: BSF के पूर्व जवान कश्मीर सिंह की जांबाजी, मामूली एमएमजी से चटा दी थी दुश्मनों को धूल
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना के जवानों को हर मोर्चे पर विफल साबित किया था। पाकिस्तान सेना के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने सरेंडर कर अपनी हार को स्वीकार किया था।
War of 1965: कितना भी दावा कर ले पाकिस्तान, नहीं बदल सकती ये सच्चाई!
War of 1965: पाकिस्तान इस युद्ध में हारा था लेकिन वह आज तक इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करता आया है। वह उल्टा अपनी जीत का दावा करता है।
India Pakistan War 1965: …जब पाकिस्तान ने पहले से चल रहे ऑपरेशन जिब्राल्टर के साथ शुरू कर दिया ग्रैंड स्लैम
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर हड़पने के लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर की साजिश रची थी। दुश्मनों ने खेमकरण सेक्टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया।
मिग-27 कहलाता था ‘बहादुर’, इस विमान ने ‘ऑपरेशन सफेद’ सागर में दिखाई थी असली ताकत
Indian Air Force: कारगिल युद्ध में मिग 27 ने अपनी जांबाजी से दुश्मनों को धूल चटा दी थी। कारगिल युद्ध में भारतीय पायलटों ने मिग 27 को ‘बहादुर’ नाम दिया था।
Kargil War 1999: भारतीय सेना के सामने थी ये सबसे बड़ी चुनौती! फिर भी दुश्मनों पर बरपाया कहर
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) को इतनी आसानी से जीत नहीं मिली थी। भारतीय सेना के 527 जवानों ने शहादत दी थी और 1,300 जवान घायल हुए थे।