Second Lieutenant Arun Khetarpal
India Pakistan War 1971: अरुण खेत्रपाल (Arun Khetarpal) ने युद्ध में पाकिस्तान के चार टैंक धवस्त कर दिए थे। उन्होंने अपने टैंक से बाहर न निकलकर बेहद विपरीत परिस्थिति में दुश्मनों के टैंक धवस्त किए थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। पाकिस्तान (Pakistan) को इस युद्ध में वो सबक सिखाया गया था, जिसे यादकर वह आज भी कांप उठता होगा। इस युद्ध में जीत के साथ ही पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) पाकिस्तान से अलग हो गया था।
युद्ध में यूं तो सभी जवानों का योगदान बेहद अहम होता है, लेकिन कुछ जवान ऐसे होते हैं जो अपनी बहादुरी की ऐसी छाप छोड़ते हैं जिसे सालों साल याद रखा जाता है। ऐसे ही एक जवान सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल भी थे।
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युद्ध में अरुण खेत्रपाल (Arun Khetarpal) ने पाकिस्तान के चार टैंक धवस्त कर दिए थे। उन्होंने अपने टैंक से बाहर न निकलकर बेहद विपरीत परिस्थिति में दुश्मनों के टैंक धवस्त किए थे। इस दौरान वह दुश्मन के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद वह शहीद हो गए। अरुण खेत्रपाल को अद्मय साहस का परिचय देने पर मरणोपरांत ‘परमवीर चक्र’ मिला था।
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अरुण खेत्रपाल (Arun Khetarpal) की मां को अपने बेटे पर गर्व है और वह कहती हैं, “वह जंग में चीते की तरह लड़ा था। आकाशवाणी ने 16 दिसंबर, 1971 को जंग के बारे में अपडेट दिया था। हमें पता चला की भारत जीत हासिल कर चुका है, लेकिन साथ ही यह भी पता चला की मेरा लाल अब इस दुनिया में नहीं रहा। स्वयं पाकिस्तान सेना के ब्रिगेडियर मोहम्मद नासिर ने कहा था कि अरुण जंग में चीते की तरह लड़ा था। हम उसकी बहादुरी को सलाम करते हैं।”
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