दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है भारतीय सेना, जानें इसके बारे में कुछ रोचक बातें

भारतीय सेना (Indian Army) दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। भारतीय सेना के बारे में कई अहम और रोचक बातें हैं जो लोगों को शायद ही पता हों। सेना की अलग प्रशासनिक संरचना है।

Indian Army

भारतीय सेना (फाइल फोटो)

आजादी के बाद से भारतीय सेना (Indian Army) में काफी कुछ बदला है। भारतीय सेना की संरचना, कोर, ब्रिगेड और बटालियन से जुड़ीं कुछ अहम बातें भी जाननी जरूरी हैं।

भारतीय सेना (Indian Army) दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। भारतीय सेना के बारे में कई अहम और रोचक बातें हैं जो लोगों को शायद ही पता हों। सेना की अलग प्रशासनिक संरचना है। सेना के अस्पताल, स्कूल, इंजीनियरिंग या निर्माण विभाग और आवासीय परिसर भी हैं। इतना ही नहीं सेना के दो भाग सशस्त्र दल और सेवा दल के काम भी पूरी तरह अलग हैं।

सशस्त्र दल को तीन भागों में बांटा गया है- बख्तरबंद दल, इन्फेंट्री (पैदल सेना) और मशीनगन इन्फैंट्री। जबकि सहायक सशस्त्र दल में तोपखाना, इंजीनियरिंग, एयर डिफेंस यूनिट, विमानन सेना दल और सिग्नल देने वाला दल होते हैं। वहीं, सेवा दल में पहली सेवा कोर (राशन, परिवहन और क्लर्क), चिकित्सा कोर, आयुध कोर (गोला बारूद, वाहन, कपड़े और सभी उपकरण), इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर (हथियारों एवं वाहनों की मरम्मत), रीमाउंट वेटनरी कोर (नए हथियार और तकनीक) और एक गुप्तचर कोर (दुश्मन के बारे में गुप्त सूचनाएं जुटाना) आदि होती हैं।  

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आजादी के बाद से भारतीय सेना (Indian Army) में काफी कुछ बदला है। भारतीय सेना की संरचना, कोर, ब्रिगेड और बटालियन से जुड़ीं कुछ अहम बातें भी जाननी जरूरी हैं।

सेना में अब तक हुए अहम बदलाव:

– 1955 में कमांडरों-इन-चीफ का नाम बदलकर थल सेना अध्यक्ष, नौसेना अध्यक्ष और वायु सेना प्रमुख के रूप में रखा गया।
– नवंबर, 1962 में रक्षा उपकरणों के अनुसंधान, विकास और उत्पादन के लिए रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना की गई थी। 
– नवंबर, 1965 में रक्षा आवश्यकताओं के रक्षा आपूर्ति विभाग बनाया गया था। 
– 1980 में रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग बनाया गया था। 
– 2004 में रक्षा उत्पादन और आपूर्ति विभाग का नाम बदलकर रक्षा उत्पादन विभाग कर दिया गया। 
– 2004 में भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग का गठन किया गया था। 
– 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस पद सृजित किया गया।

भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को जनता द्वारा चुना गया राजनीतिक नेतृत्व यानी भारत सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री यह जिम्मेदारी संभालते हैं। रक्षा मंत्रालय कर्मियों, वित्तीय और संसाधन प्रबंधन से संबंधित मामलों को संभालता है।

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सचिव यानी भारतीय रक्षा सचिव रक्षा विभाग के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त रक्षा सचिव मंत्रालय के अधीन चार विभागों रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग और भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग की गतिविधियों के समन्वय के लिए जिम्मेदार हैं।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ:

साल 2019 में देश में सीडीएस (CDS) यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित हुआ। पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था। बता दें कि चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) के अध्यक्ष की जगह अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस पद बन चुका है। पहले चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सेना (Army), नौसेना (Navy) और वायुसेना (Air Force) प्रमुख होते थे और तीनों में वरिष्ठतम सदस्य को इसका चेयरमैन नियुक्त किया जाता था। 

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भारतीय सेना (Indian Army) की सात कमान है। इनमें एक शिमला स्थित ट्रेनिंग कमान सेना में सभी संस्थागत प्रशिक्षण का कामकाज देखती है। हालांकि, इनके अलावा सेना की एक स्वतंत्र पैराशूट ब्रिगेड भी है। प्रत्येक कमान का अपना एक मुख्यालय होता है। सभी कमानों में अलग-अलग कोर के साथ ही तोपखाना, इन्फेंट्री, बख्तरबंद, माउन्टेन और रैपिड जैसे डिविजन, साथ ही वायु रक्षा ब्रिगेड एवं इंजीनियरिंग ब्रिगेड होते हैं।

सेना प्रमुख के बाद सभी छह ऑपरेशनल कमान और एक ट्रेनिंग कमान के अपने अलग प्रमुख होते हैं। ये आर्मी कमांडर कहलाते हैं। इन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ भी कहा जाता है। ये सभी लेफ्टिनेंट जनरल तीन सितारा रैंक के होते हैं। 

अधिकारियों के रैंक-

– कोर के प्रमुख भी तीन सितारा रैंक धारक लेफ्टिनेंट जनरल होते हैं। इन्हें कोर कमांडर भी कहते हैं। एक कोर के तहत 3-4 डिविजन होते हैं।

– डिवीजन के प्रमुख को मेजर जनरल कहते हैं। इनकी रैंक दो सितारा होती है। इन्हें डिवीजन कमांडर भी कहते हैं। प्रत्येक डिवीजन में 3-4 ब्रिगेड होती हैं। डिवीजन में करीब 15 हजार सशस्त्र सैनिक और करीब आठ हजार सहायक जवान होते हैं। 

– ब्रिगेड के प्रमुख को ब्रिगेडियर कहते हैं। ये एक सितारा रैंक वाले अधिकारी होते हैं। इन्हें ब्रिगेड कमांडर भी कहते हैं। इनके तहत तीन बटालियन/रेजिमेंट और सहायक जवान एवं उपकरण होते हैं।  

– बटालियन/रेजिमेंट के प्रमुख कर्नल रैंक के अधिकारी होते हैं। एक बटालियन/रेजिमेंट के तहत चार राइफल कंपनी होती हैं और बटालियन/रेजिमेंट में करीब 850 सैनिक होते हैं।  

– कंपनी में तीन प्लाटून शामिल होते हैं। इसके प्रमुख को कंपनी कमांडर कहते हैं। ये लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर रैंक के अधिकारी होते हैं। कंपनी में 90से 120 सैनिक होते हैं।

– प्लाटून/पलटन का नेतृत्व जेसीओ रैंक अधिकारी द्वारा किया जाता है। इनके तहत तीन-चार सेक्शन होते हैं। सेक्शन सेना की सबसे छोटी इकाई को कहते हैं। इसका नेतृत्व सेक्शन कमांडर करते हैं। इसमें हवलदार स्तर के 10 जवान होते हैं।

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