Indo-China War 1962: …जब गंगोत्री हिमालय में तप करने वाले साधुओं ने की भारतीय सेना की मदद
भारत और चीन के बीच 1962 में लड़े गए युद्ध में गंगोत्री हिमालय में तप करने वाले साधुओं ने भी भारतीय सेना (Indian Army) की मदद की थी। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पूरा दमखम दिखाया था, लेकिन अंत में हार का ही सामना करना पड़ा था।
Indo-China War 1962: सीमा को लेकर तिब्बत से हुआ समझौता नहीं मानता है चीन
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध (Indo-China War 1962) लड़ा गया था। इस युद्ध में चीनी सेना ने भारतीय सेना (Indian Army) पर जमकर हमला किया था। जवाबी कार्रवाई में हमारे कई सैनिक शहीद और घायल हो गए थे।
Kargil War: पहाड़ियों पर डेढ़ महीने का सफर, सुनसान रास्तों पर ऐसा था वीर सपूतों का जज्बा
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) ने कड़ी मशक्कत के बाद युद्ध में जीत हासिल की थी। युद्ध कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर लड़ा गया था।
कारगिल युद्ध की कहानी पदम देव ठाकुर की जुबानी, इनकी बटालियन ने फतह किया था टाइगर हिल
युद्ध में सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए पदम देव ठाकुर ने भी हिस्सा लिया था। युद्ध के दिनों को याद करते हुए उन्होंने अपने अनुभव को साझा किया है।
BSF के पास है अपना हवाई, समुद्री और आर्टिलरी विंग, जानें अन्य खासियतें
बीएसएफ विशेषकर पश्चिमी सीमा और पूरब में बांग्लादेश सीमा पर काफी एक्टिव है। भारत का एकमात्र सशस्त्र बल है जिसके अपना हवाई, समुद्री विंग और आर्टिलरी विंग है।
कारगिल युद्ध में शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज डायरी में लिखते थे ये बातें
शहीद होने के बाद इस जवान की एक डायरी पिता को मिली थी। इस शहीद के पिता ओम प्रकाश शर्मा ने उनकी डायरी के कुछ अंश साझा किए हैं।
रिटायर्ड सूबेदार श्याम सुंदर सिंह पटेल का कारगिल युद्ध में ऐसा था अनुभव, माइनस 40 डिग्री तापमान के बीच लड़े जवान
प्रयागराज में रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार श्याम सुंदर सिंह पटेल ने इस युद्ध से जुड़े अपने अनुभव को साझा किया है। उन्होंने इस युद्ध में हिस्सा लिया था।
Kargil War 1999: सूबेदार मेजर घनश्याम मिश्रा का ऐसा था अनुभव, जीत के लिए जवानों ने की थी कड़ी मेहनत
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे जवानों ने अहम भूमिक निभाई थी। जवानों ने दुश्मनों को हर मोर्चे पर विफल साबित करने के लिए माइनस डिग्री तापमान में कड़ी मेहनत की थी।
Indian Army Dog Squad: सुरक्षा बलों को खतरों से बचाते हैं, ‘खोजी कुत्तों’ की ये हैं खासियतें
कहा जाता है कि कुत्तों से ज्यादा वफादार जानवर कोई नहीं होता। कुत्ते अपनी जान की बाजी लगाकर मालिक की रक्षा करने से पीछे नहीं हटते। कई मौकों पर 'खोजी कुत्ते' (Indian Army Dog Squad) सुरक्षा बलों को कई तरह के भारी जानमाल के नुकसान से बचा चुके हैं।
युद्ध स्मारक का है बेहद महत्व, 25,000 से ज्यादा सैनिकों के बलिदान की बसी हैं यादें
आजादी के बाद अबतक चार युद्ध के अलावा हमारे सैनिकों ने हर छोटे से लेकर बड़े ऑपरेशनों में हिस्सा लेकर बलिदान दिया है। हम सुकून की नींद सो सकें, इसके लिए हमारे जवान दिन रात सीमा पर तैनात रहते हैं।
War of 1971: 16 ग्रेनेडियर्स यूनिट में रहे सैनिक हरवीर सिंह का ऐसा था अनुभव, थेपुरा में फहराया था तिरंगा
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा था। युद्ध में एक वक्त ऐसा आया जब पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने सरेंडर कर हार स्वीकार की थी।
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की ड्रेस की ये हैं खासियतें
ड्रेस पर लगे चिन्ह के जरिए तीनों सेनाओं की झलक देखने को मिलती है। बेल्ट के बकल पर थल सेना, वायु सेना और जल सेना तीनों के चिन्हों का मिश्रण होता है।
Kargil War: कैप्टन अमोल कालिया की शहीदी को ऐसे मिला सम्मान, शहादत का कर्जदार रहेगा देश
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। युद्ध में कैप्टन अमोल कालिया (Captain Amol Kalia) ने बेहद ही शानदार प्रदर्शन किया था।
पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेने वाले जांबाज कर्नल अशोक कुमार तारा, बचाई थी प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) की जीत के साथ ही बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में विश्व के नक्शे पर आया था।
1971 का युद्ध: गोली लगने पर घायल हो गए थे सेवानिवृत्त कर्नल पीके सूद, ऐसा था इनका अनुभव
सेवानिवृत्त कर्नल पीके सूद ने जंग के मैदान में गोली खाकर देश की रक्षा की थी। सूद ने दिखा दिया था कि वे गोली खा सकते हैं पर भारत का सिर नहीं झुकने दे सकते।
1971 का युद्ध: मुक्तिवाहिनी इस तरह करती थी भारतीय सेना की मदद, बांग्लादेश की आजादी में निभाई अहम भूमिका
सेना (Indian Army) के वीर सपूतों ने दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने सरेंडर किया था।
जानिए कैसे जीते हैं सियाचिन में हमारे वीर सपूत, ये है दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
Indian Army: दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भी हमारे सैनिक दिन रात जुटे रहते हैं। ये वह जगह है जोकि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है।