Indian Army Dog Squad: सुरक्षा बलों को खतरों से बचाते हैं, ‘खोजी कुत्तों’ की ये हैं खासियतें

कहा जाता है कि कुत्तों से ज्यादा वफादार जानवर कोई नहीं होता। कुत्ते अपनी जान की बाजी लगाकर मालिक की रक्षा करने से पीछे नहीं हटते। कई मौकों पर ‘खोजी कुत्ते’ (Indian Army Dog Squad) सुरक्षा बलों को कई तरह के भारी जानमाल के नुकसान से बचा चुके हैं।

Indian Army Dog Squad

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Indian Army Dog Squad: कई बार तो कई डॉग्स मौके पर ही शहीद हो जाते हैं। डॉग्स की शहादत के जरिए यह आभास हो जाता है कि इनका ‘देश प्रेम’ किस हद तक होता है।

कहा जाता है कि कुत्तों से ज्यादा वफादार जानवर कोई नहीं होता। कुत्ते अपनी जान की बाजी लगाकर मालिक की रक्षा करने से पीछे नहीं हटते। कई मौकों पर ‘खोजी कुत्ते’ (Indian Army Dog Squad) सुरक्षा बलों को कई तरह के भारी जानमाल के नुकसान से बचा चुके हैं।

सुरक्षा बलों में शामिल डॉग्स को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। ये बेहद ही एक्टिव रहते हैं और किसी भी खतरे को भांप कर जवानों को अलर्ट कर देते हैं। इनकी सुंघने की शक्ति भी काफी तेज होती है।

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ट्रेनिंग के बाद ही ‘खोजी कुत्तों’ (Indian Army Dog Squad) को टास्क के लिए उतारा जाता है। जंग के मैदान में भी ये अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा, आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए भी इनकी अहम भूमिका होती है। कई बार तो कई डॉग्स मौके पर ही शहीद हो जाते हैं।

डॉग्स की शहादत के जरिए यह आभास हो जाता है कि इनका ‘देश प्रेम’ किस हद तक होता है। एक डॉग की औसत उम्र 12 से 15 साल होती है। रिटायरमेंट के बाद इन डॉग्स का पूरा ख्याल रखा जाता है। रिटायरमेंट के बाद सुरक्षा बल ही इन कुत्तों की देखरेख करते हैं।

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रिटायरमेंट के बाद इनकी दिनचर्या का नया चार्ट तैयार होता है। इन्हें पहले जैसा ही खाना मिलता है, मगर उसकी मात्रा तीस फीसदी कम कर दी जाती है। अंतिम सांस तक ये बल का हिस्सा बने रहते हैं, हालांकि इन्हें सक्रिय ड्यूटी से दूर रखा जाता है।

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