जानिए कैसे जीते हैं सियाचिन में हमारे वीर सपूत, ये है दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र

Indian Army: दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भी हमारे सैनिक दिन रात जुटे रहते हैं। ये वह जगह है जोकि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है।

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फाइल फोटो

Indian Army: दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भी हमारे सैनिक दिन रात जुटे रहते हैं। ये वह जगह है जोकि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस जगह पर थोड़ी सी भी ढिलाई भारत को काफी भारी पड़ सकती है। सियाचिन ग्लेशियर 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान बलिदान और त्याग के लिए जाने जाते हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब हमारे वीर सपूतों ने इस बात को साबित भी किया है। चाहें वह 1948 की जंग हो या फिर 1962, 1965, 1971 और 1999 की लड़ाई। हमारे सैनिकों ने यह पूरी तरह से साबित कर दिया है कि वे भारत मां की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार रहते हैं।

हमारे सैनिक सरहद की रक्षा के लिए भी हर समय तैनात रहते हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भी हमारे सैनिक दिन रात जुट रहते हैं। ये वह जगह है जो कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस जगह पर थोड़ी सी भी ढिलाई भारत को काफी भारी पड़ सकती है। सियाचिन ग्लेशियर 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है।

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सियाचिन में ठंड में तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे पहुंच जाता है, ऐसे में सेना के जवानों का यहां रहना सबसे बड़ी चुनौती होता है। हर चीज यहां पर बर्फ हो जाती है। गर्म पानी चंद सेकेंड में बर्फ का गोला बन जाता है। सरकार सैनिकों को स्पेशल सूट मुहैया करवाती है जो इस ठंड को सह सकने में कारगर होते हैं। इसके साथ ही ठंड के चलते सैनिकों की त्वचा पर घाव न पड़े इसके लिए भी पाउडर मुहैया करवाया जाता है।

पेट्रोलिंग के दौरान कमर में रस्सी बांधी जाती है क्योंकि बर्फ कहां धंस जाए इसका पता नहीं रहता और अगर कोई एक व्यक्ति खाई में गिरने लगे तो बाकी लोग इस रस्सी से उसे बचा सकते हैं। ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से धीमे-धीमे चलना पड़ता है। यहां सैनिक एकसाथ चलते हैं। यहां जिंदगी कितनी मुश्किल है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पिछले 30 साल में हमारे 846 जवानों ने प्राणों की आहुति दी है।

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