इस वजह से दी जाती है 21 बंदूकों की सलामी, जानें वीरगति को प्राप्त सैनिक के लिए कैसे है ये खास

बंदूकों के जरिए विशेष क्रम की फायरिंग की जाती है जो कि एक शहीद सैनिक के सम्मान और बलिदान को प्रकट करती है। इस सैन्य परंपरा को ’21-गन सल्यूट’ कहा जाता है।

21 Gun Salute

Indian Army 21 Gun Salute: बंदूकों के जरिए विशेष क्रम की फायरिंग की जाती है जो कि एक शहीद सैनिक के सम्मान और बलिदान को प्रकट करती है। इस सैन्य परंपरा को ’21-गन सल्यूट’ कहा जाता है। 

देश की सुरक्षा के लिए हमारे सैनिक हर मोर्चे पर खड़े रहते हैं। दुश्मनों को भेदने के लिए बॉर्डर पर दिन रात ड्यूटी कर हमारे जवान इस देश की रक्षा करते हैं। हम सुकून की नींद ले सकें, इसके लिए सैनिक अपना जान की बाजी लगा देते हैं।

हमारे सैनिक भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद भी होते रहे हैं। एक शहीद सैनिक और उसके परिवार का सम्मान सबसे जरूरी हो जाता है। अंतिम संस्कार के समय सेना के जवानों के लिए विशेष प्रक्रिया को अपनाया जाता है।

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अंतिम विदाई देने के लिए सेना विभाग द्वारा एक विशेष प्रकिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के तहत शहीद सैनिकों को 21 बंदूकों  की सलामी दी जाती है। अलग-अलग मौकों पर बंदूकों की संख्या अलग-अलग होती है।

इन बंदूकों के जरिए विशेष क्रम की फायरिंग की जाती है, जो कि एक शहीद सैनिक के सम्मान और बलिदान को प्रकट करती है। इस सैन्य परंपरा को ’21-गन सल्यूट’ (Indian Army 21 Gun Salute) कहा जाता है। इस दौरान फायरिंग के बाद सैनिक अपनी तोपों को मीन पर टिकाते हैं और शहीद के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।

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यह शहीद के प्रति औपचारिक रूप से सम्मान और शान्ति का प्रतीक चिन्ह है। यह सैनिकों के प्रति राजकीय सम्मान है, जिसमें शहीद की बॉडी तिरंगे के साथ लपेटी जाती है। राज्य या केंद्र सरकार द्वारा अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था की जाती है। राज्य सरकार या केंद्र सरकार ही यह तय करती है कि किन्हें ये सम्मान देना है।

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