1971 का युद्ध: …जब सरेंडर के पेपर लेकर ढाका पहुंच गए थे जनरल जेएफआर जैकब

पाकिस्तानी सेना के 26 हजार जवान वहां पाकिस्तान के जनरल एके नियाजी के नेतृत्व में सरेंडर को तैयार थे। हालांकि इसके बाद यह संख्या 93 हजार के पास हो गई थी।

1971 war

फाइल फोटो।

India Pakistan War 1971: जैकब वे शख्स थे जो कि सरेंडर के पेपर लेकर ढाका पहुंच गए थे। सरेंडर से पहले तय प्रक्रिया का पालन किया जाता है, इसी प्रक्रिया में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। पाकिस्तान के सरेंडर के साथ ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) नाम का देश सामने आया था।

सरेंडर में जनरल जेएफआर जैकब ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। जैकब वे शख्स थे जो कि सरेंडर के पेपर लेकर ढाका पहुंच गए थे। सरेंडर से पहले तय प्रक्रिया का पालन किया जाता है, इसी प्रक्रिया में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

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16 दिसंबर को जनरल जैकब को आदेश मिला था कि ढाका जाकर पाकिस्तान के सरेंडर की तैयारी करें। उस समय ढाका को हमारे महज 3 हजार सैनिकों ने घेरे हुआ था, जबकि तब तक पाकिस्तानी सेना के 26 हजार जवान वहां पाकिस्तान के जनरल एके नियाजी के नेतृत्व में सरेंडर को तैयार थे। हालांकि इसके बाद यह संख्या 93 हजार के पास हो गई थी।

जैसे ही जनरल जैकब नियाजी के पास पहुंचे तो सरेंडर के पेपर्स पर हस्ताक्षार करने के लिए कहा गया। इस दौरान नियाजी ने कहा है कि वे हस्ताक्षर जरूर करेंगे लेकिन उनकी और परिवार की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए। इस पर हामी के बाद उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए और इस तरह पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने सरेंडर कर दिया।

बता दें कि खचाखच भरे रेसकोर्स स्टेडियम में ढाका की जनता इस ऐतिहासिक दृश्य को अपनी आंखों से देख रही थी। इस जीत के साथ ही भारत ने दिखा दिया था कि इंडियन आर्मी कितनी बेहतरीन है।

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