साल 1962 युद्ध के बाद 1975 में LAC पर हुई थी फायरिंग, जानें चीन क्यों है हमारे लिए खतरा
1962 के खूनी संघर्ष के 13 साल बाद भी चीन ने हमारे खिलाफ हथियार उठा लिए थे। युद्ध के बाद 1975 पर एलएसी पर फायरिंग हुई थी, जिसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
Kargil War 1999: पाक सेना ने की थी लंबी लड़ाई की तैयारी, फिर भी मिली पटखनी
पाक सेना भारी मात्रा में रसद साथ लाई थी, यानी वे लंबा चलने वाले युद्ध के लिए तैयार थे। पाक ने कारगिल के इलाके में अपने कई एडवांस हथियार भी तैनात किए थे।
इस जवान ने 1999 में पाकिस्तान बॉर्डर पर बिछाई थी 52 किलोमीटर लंबी बारूदी सुरंग, पेश की थी बहादुरी की मिसाल
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हार मिली थी। युद्ध में एक-एक जवान के प्रदर्शन की अहमियत होती है। एक-एक जवान जीत की इबारत लिखता है।
‘दुनिया में न रहूं तो अंतिम संस्कार युद्ध के मैदान पर ही करना’, ‘परमवीर चक्र’ कर्नल तारापोर ने शहादत से पहले कही थे ये बात
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध लड़ा गया था। इसे सबसे बड़े टैंक युद्ध में से एक माना जाता है। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से धूल चटाई थी।
सरहद पर बनाए गए हैं काउंटर घुसपैठ ग्रिड, कारगिल युद्ध के बाद भारत पहले से ज्यादा मुस्तैद
Kargil War: भारत ने इस युद्ध के बाद सरहद की सुरक्षा काफी मुस्तैद किया है। इस युद्ध के बाद सीख लेते हुए सरहद पर काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं।
Kargil War: 26 जुलाई को हुआ था इस जंग का अंत, 14 जुलाई को हुई जीत की आधिकारिक घोषणा
60 दिनों के घटनाक्रम के बारे में सेना और सरकार द्वारा जो जानकारियां सामने आई हैं उसके मुताबिक युद्ध की नींव 1999 के फरवरी महीने में ही रख दी गई थी।
Kargil War 1999: दुश्मन टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे थे, लगातार हो रही थी बमबारी
यह पोस्ट सामरिक रूप से हमारे लिए बेहद महत्व रखती है। इसपर दुश्मन का कब्जा लगातार बने रहने का मतलब था भारतीय सरजमीं पर पाक सेना की आसानी से पहुंच हो जाना।
1965 में पाकिस्तान को मिला था बड़ा जख्म, युद्ध में मारे गए थे करीब 4,000 सैनिक
युद्ध की नींव कच्छ के लगभग अनजान और बियाबान इलाके में हुई सीमित मुठभेड़ से रखी गई थी। भारत और पाक के बंटवारे के समय से ही कई मुद्दों पर तनातनी चल रही थी।
India Pakistan War 1965: खेमकरण में मुंह की खाने का बाद थम गया पाकिस्तान, ऐसे खत्म हुई जंग
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध को द्वितीय विश्व के बाद का सबसे बड़ा टैंक युद्ध भी कहा जाता है।
India Pakistan War 1965: युद्ध में सैनिक रामनारायण गावशिंदे का ऐसा था अनुभव, जानें उनकी कहानी
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि पाकिस्तान कहता है कि इस युद्ध में उसका पलड़ा भारी रहा था।
1971 का युद्ध: पूर्व सैनिक भगवान सिंह चौहान ने भरी थी हुंकार, जानें कैसा था इनका अनुभव
युद्ध में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 48 सैनिकों ने भी हिस्सा लिया था। इन सैनिकों में से एक खरगोन जिले के टांडा बरूड़ निवासी सिपाही भगवान सिंह चौहान भी थे।
India Pakistan War 1971: ट्रेन और हवाई मार्ग से ही नहीं बल्कि खच्चर से भी Army को पहुंचाया गया था राशन, जानें कैसे थे जंग के दिन
युद्ध के दौरान कई मौकों पर सेना को राशन की कमी महसूस हुई थी लेकिन तय वक्त पर राशन पहुंचा दिया जाता था। ऐसा हमारे वीर सैनिकों के द्वारा हो सका था।
1971 का युद्ध: लाहौर, कराची और रावलपिंडी एयरबेस से PAK युद्धक विमान भरते थे उड़ान, Indian Army के सैनिक L-70 हथियार से लगाते थे इनपर निशाना
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को हराने के लिए हर मोर्चे पर भारतीय सेना (Indian Army) ने शानदार प्रदर्शन किया था।
India Pakistan War 1965: जिंदा रहने के लिए सैनिकों ने पी लिया था जानवरों का खून मिला पानी! जानें कैसे थे हालात
सेना में 9 कुमाऊं रेजिमेंट का हिस्सा रहे और 1965 के भारत पाकिस्तान यु़द्ध में शामिल रहे रिटायर्ड जगत सिंह ने इस युद्ध से जुड़े अपने अनुभव को साझा किया है।
India Pakistan War 1971: सैकड़ों की संख्या में जब्त पाकिस्तानी हथियार अभी भी सेना की संरक्षण में, कई बंदूकों को किया जा चुका है नष्ट
युद्ध में पाक सेना के खिलाफ जवानों ने शौर्य का परिचय दिया। पाक को हराकर भारतीय जवानों ने दिखा दिया था कि हमारे खिलाफ नजर उठाने वालों के साथ क्या होता है।
1962 का युद्ध: ब्रिगेडियर परशुराम जॉन दालवी बना लिए गए थे बंदी, चीन ने ऐसे पहुंचाया था हमें नुकसान
Indo-China War of 1962: बंदी बनाए जाने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव महसूस हुआ था इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'हिमालयन ब्लंडर' में किया है।
1999 का कारगिल युद्ध: पाक लेफ्टिनेंट को मौत के घाट उतारने के बाद उसकी जेब से मिला था खत, जानें सेना ने फिर क्या किया
Kargil War: खत अरबी भाषा में लिखा गया था। खत में जिक्र किया गया था कि कादिर घर पर छुट्टियां मना रहे थे लेकिन अचानक युद्ध छिड़ जाने के बाद उन्हें जाना पड़ा था।