1971 का युद्ध: पूर्व सैनिक भगवान सिंह चौहान ने भरी थी हुंकार, जानें कैसा था इनका अनुभव

युद्ध में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 48 सैनिकों ने भी हिस्सा लिया था। इन सैनिकों में से एक खरगोन जिले के टांडा बरूड़ निवासी सिपाही भगवान सिंह चौहान भी थे।

Indian Army

War of 1971

India Pakistan War 1971: युद्ध में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 48 सैनिकों ने भी हिस्सा लिया था। इन 48 सैनिकों में से एक जिले के टांडा बरूड़ निवासी सिपाही भगवान सिंह चौहान (Bhagwan Singh Chauhan) भी थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध (India Pakistan War 1971)  लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान को हराकर हमारी सेना (Indian Army)  ने पूरे विश्व में अपना डंका बजा दिया था।

इस युद्ध में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन जिले के 48 सैनिकों ने भी हिस्सा लिया था। इन 48 सैनिकों में से एक जिले के टांडा बरूड़ निवासी सिपाही भगवान सिंह चौहान भी थे। उन्होंने युद्ध के उन दिनों को यादकर अपना अनुभव कई मौकों पर साझा किया है।

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वे बताते हैं, “हमारी तैनाती फिरोजपुर सेक्टर के हनुमानगढ़ में हुई थी। मेरा काम खराब युद्ध टैंक, बंदूक और अन्य हथियारों को दुरुस्त करना था। दुश्मनों की नजर से बचने के लिए यह काम रात में ही गुप्त तरीके से होता था।”

भगवान सिंह चौहान (Bhagwan Singh Chauhan) आगे बताते हैं, “हम सैनिकों को चालू हथियार मुहैया करवाते थे। मैं सेना में 1965 में इंजीनियर के तौर पर भर्ती हुआ था। हमने अंत तक पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा संभाले रखा। यही वजह थी कि पाकिस्तान को बुरी तरह से हार नसीब हुई थी।”

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बता दें कि बांग्लादेश (Bangladesh) की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार जवानों ने सरेंडर (Surrender) किया था। इसके साथ ही बांग्लादेश को आजादी मिली और वह दुनिया के नक्शे पर अलग देश के रूप में सामने आया।

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