1999 का कारगिल युद्ध: पाक लेफ्टिनेंट को मौत के घाट उतारने के बाद उसकी जेब से मिला था खत, जानें सेना ने फिर क्या किया

Kargil War: खत अरबी भाषा में लिखा गया था। खत में जिक्र किया गया था कि कादिर घर पर छुट्टियां मना रहे थे लेकिन अचानक युद्ध छिड़ जाने के बाद उन्हें जाना पड़ा था।

Kargil War

Kargil War: खत अरबी भाषा में लिखा गया था। खत में जिक्र किया गया था कि कादिर घर पर छुट्टियां मना रहे थे लेकिन अचानक युद्ध छिड़ जाने के बाद उन्हें जाना पड़ा था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए युद्ध में भारतीय सेना ने बेहद ही शानदार प्रदर्शन किया था। ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाली कई पोस्ट पर तिरंगा लहराया गया था। युद्ध में सेना के एक-एक जवान ने भारत मां की रक्षा की थी। भारतीय सेना के जवानों ने जान की बाजी लगाकर युद्ध में दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा था।

युद्ध में मशकोह घाटी में 16 हजार फीट से ऊंची चोटी प्वाइंट 4875 पर सेना ने पाक लेफ्टिनेंट  मंजूर कादिर  को मौत के घाट उतारने के बाद जब उसी जेब चेक की तो उसमें एक खत मिला था।

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खत में उसके परिवार ने पुरानी बातों का जिक्र किया था। उसके पास पत्नी और बच्चों का फोटो भी मिला था। अमूमन हर जवान अपने पास अपने परिवार की फोटो जरूर रखता है। चाहे वह किसी भी देश का सैनिक हो।

खत अरबी भाषा में लिखा गया था। खत में जिक्र किया गया था कि कादिर घर पर छुट्टियां मना रहे थे लेकिन अचानक युद्ध छिड़ जाने के बाद उन्हें जाना पड़ा था। उनकी पत्नी ने इस खत में लिखा था कि हम सब इस बात को लेकर हैरान है। आपकी बहुत याद आ रही है।

बता दें कि पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट मंजूर कादिर की निशानियां आज भी महार रेजीमेंट के संग्रहालय में सुरक्षित हैं। इस संग्रहालय में पाकिस्तान के हथियार, टेप और डायरी भी मौजूद हैं। विशेष अवसरों पर रेजिमेंट के जवानों के परिजन और अधिकारी रेजिमेंट संग्रहालय में सजी करगिल विजय की यादें को देखने पहुंचते हैं।

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