1962 का युद्ध: ब्रिगेडियर परशुराम जॉन दालवी बना लिए गए थे बंदी, चीन ने ऐसे पहुंचाया था हमें नुकसान

Indo-China War of 1962: बंदी बनाए जाने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव महसूस हुआ था इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब ‘हिमालयन ब्लंडर’ में किया है।

China

ब्रिगेडियर परशुराम जॉन दालवी

Indo-China War of 1962: बंदी बनाए जाने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव महसूस हुआ था इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब ‘हिमालयन ब्लंडर’ में किया है। वे बताते हैं कि ‘बंदी बनाए जाने के बाद 66 घंटों से मैंने कुछ नहीं खाया था।’

भारत और चीन (China) के बीच 1962 में युद्ध लड़ा गया था। चीन के खिलाफ हमारे सैनिकों ने हर संभव प्रयास किया लेकिन हार ही नसीब हुई। चीन इस युद्ध में पूरी तैयारी के साथ आया था जबकि भारतीय सेना की तैयारी दुश्मन देश के मुकाबले कम थी। सेना के पास न तो हथियार थे और न ही माइनस 30 डिग्री जैसे कड़ाके की ठंड के लिए कपड़े और जूते।

ऐसे में अधूरी तैयारी के साथ कभी युद्ध नहीं जीते जाते। इस युद्ध के दौरान ब्रिगेडियर परशुराम जॉन दालवी और उनके कुछ साथियों को चीन द्वारा युद्ध बंदी बना लिया गया था। 22 अक्टूबर 1962 की सुबह उन्हें और उनके साथियों को बंदी बना लिया गया था।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की तीनों सेनाओं ने झोंकी अपनी ताकत- राजनाथ सिंह

बंदी बनाए जाने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव महसूस हुआ था इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब ‘हिमालयन ब्लंडर’ किया है। वे बताते हैं कि ‘बंदी बनाए जाने के बाद 66 घंटों से मैंने कुछ नहीं खाया था। मैं 10500 फुट की ऊंचाई से और ऊपर 18500 फुट तक चढ़ा था और फिर 10500 फ़ुट नीचे एक जलधारा की तरह उतर आया था। मैं थक कर चूर हो गया था और भूखा था। झाड़ियों के बीच चलते रहने और कांटेदार ढलानों पर फिसलने के कारण मेरे कपड़े तार तार हो गए थे।’

दालवी के बेटे के मुताबिक ‘खाने में पिता को दिन के दोनों समय आलू दिया जाता था। महीनों बाद उनके बाल काटे जाते थे। उन्हें कई दिनों बाद लिखने के लिए पैन और कागज दिया गया था।’ मालूम हो कि 1962 के युद्ध में चीन ने हमें नुकसान पहुंचाया था। जीत के साथ ही चीन ने अकसाई चीन पर कब्जा कर लिया था हालांकि वह पूर्वोत्तर के इलाके से निकल गया था।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें