‘दुनिया में न रहूं तो अंतिम संस्कार युद्ध के मैदान पर ही करना’, ‘परमवीर चक्र’ कर्नल तारापोर ने शहादत से पहले कही थे ये बात

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध लड़ा गया था। इसे सबसे बड़े टैंक युद्ध में से एक माना जाता है। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से धूल चटाई थी।

AB Tarapore

फ्टिनेंट कर्नल ए. बी. तारापोर

India Pakistan War 1965: लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर (AB Tarapore) ने कहा था, “मेरी प्रेयर बुक मेरी मां को दे दी जाए। मेरी अंगूठी मेरी पत्नी को और मेरा फाउंटेन पेन मेरे बेटे जर्जीस को दे दिया जाए।”

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध लड़ा गया था। इसे सबसे बड़े टैंक युद्ध में से एक माना जाता है। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से धूल चटाई थी। इस युद्ध में एक जवान ने शहादत से पहले कहा था कि वे अगर दुनिया में न रहे तो अंतिम संस्कार युद्ध के मैदान में ही करना।

ये बात कहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर (AB Tarapore) थे। उन्होंने युद्ध के दौरान अपने साथी मेजर चीमा को निर्देश दिया कि अगर इस जंग के दौरान वे इस दुनिया में न रहें तो उनका अंतिम संस्कार युद्ध के मैदान पर ही किया जाए। उन्हें मरणोपरांत भारत का वीरता का सबसे बड़ा पदक ‘परमवीर चक्र’ दिया गया था।

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उन्होंने चीमा से कहा था, “मेरी प्रेयर बुक मेरी मां को दे दी जाए। मेरी अंगूठी मेरी पत्नी को और मेरा फाउंटेन पेन मेरे बेटे जर्जीस को दे दिया जाए।” साथी जवान से यह बात कहने के पांच दिन बाद वह एक पाकिस्तानी टैंक गोले के शिकार होकर शहीद हो गए थे।

बता दें कि युद्ध के दौरान पाकिस्तान के सियालकोट सेक्टर के नजदीक फिल्लौर के क्षेत्र पर अधिकार करने की जिम्मेदारी तारापोर को सौंपी गई थी। 7 सितंबर को फिल्लौरी में रेजीमेंट का सामना पाकिस्तान की पैटन टैंक डिवीजन से हुआ।

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अमेरिका की ओर से सबसे मजबूत और खतरनाक बताए जा रहे पैटन टैंक से सीधी लड़ाई में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। हालांकि, तारापोर (AB Tarapore) समेत अन्य जवानों को शहादत देनी पड़ी थी।

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