Kargil War: खून का आखिरी कतरा भी किया देश पर न्यौछावर, पढ़ें कैप्टन नीकेजाकुओ कैंगुरूसे की शौर्यगाथा
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल का युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। युद्ध में पाकिस्तान को भारत ने बुरी तरह से मात दी थी। भारतीय सेना (Indian Army) ने ऐसा पराक्रम दिखाया था, जिसे देखने के बाद दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता होगा।
War of 1965: भारत और पाकिस्तान के बीच क्या समझौता हुआ था? यहां जानें
भारत ने पाकिस्तान के सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के कुछ उपजाऊ इलाके जीत लिए थे। भारत बेहद फायदे में था और पाकिस्तान नुकसान में।
Kargil War: सूबेदार मेजर कौशल कुमार शर्मा की शौर्यगाथा, प्वाइंट 4875 की सबसे कठिन तीन पोस्टों को जीतने में हुए थे कामयाब
यूं तो युद्ध में हर एक जवान की अपनी अलग भूमिका होती है लेकिन कुछ जवान अपनी बहादुरी से हमेशा याद रखे जाते हैं। ऐसे ही जवान थे सूबेदार मेजर कौशल कुमार शर्मा।
War of 1965: भारत मिटा सकता था पाकिस्तान का नामो-निशान, पर संघर्ष-विराम का प्रस्ताव किया मंजूर
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़ी गई जंग (War of 1965) बेहद ही खौफनाक थी। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दिया था।
1948 का युद्ध: नौशेरा से राजौरी की तरफ जाने वाली 26 माइल्स रोड पर बिछी थीं लैंड माइन्स, ये है पूरी घटनाक्रम
हमारे जवानों ने बेहद ही बहादुरी के साथ लैंड माइन्स को पूरा का पूरा साफ करवाकर ही दम लिया था। दरअसल इन माइन्स को हटाना इसलिए जरूरी था।
सियाचिन हिमखंड पर भारत और पाक सैनिकों के बीच हुई थी भिड़ंत, जानें पूरा मामला
Indian Army: दुनिया के सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन में तापमान माइनस 40 से 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। आम इंसान का यहां जीना मुश्किल होता है।
War of 1971: लेफ्टिनेंट जनरल जैकब की ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’ की कुशल रणनीति में थी अहम भूमिका, दुश्मन पर पड़े थे भारी
युद्ध में पाक लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के पास सिर्फ ढाका में ही 26400 सैनिक थे, जबकि जैकब सिर्फ 3000 सैनिक लेकर भारी पड़े थे।
…जब CRPF जवान अंजनी कुमार और उनकी टीम नक्सिलयों पर कहर बनकर टूटी, भाग खड़े हुए थे दुश्मन
CRPF के असिस्टेंट कमांडेंट अंजनी कुमार (Anjani Kumar) की जांबाजी के लिए विख्यात हैं। वे बेहद ही चालाकी से दुश्मनों पर कहर बनकर टूटते रहे हैं। अंजनी का नाम सीआरपीएफ के ऐसे जवानों में लिया जाता है जो कि दुश्मनों के छक्के छुड़ा देते हैं।
War of 1971: कर्नल अशोक तारा ने बचाई थी बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना की जान, जानें कैसे
पाकिस्तान के घुटने टेकने के बाद कर्नल अशोक तारा को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि उन्हें बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की पत्नी और उनके परिवार को बचाना है।
War of 1971: …जब पाकिस्तान ने अपना ही जहाज मार गिराया, कर दी थी बड़ी गलती
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के बीच लड़ा गया युद्ध (War of 1971) इंडियन आर्मी (Indian Army) की शौर्यगाथा को बयां करता है। इस युद्ध में हमारी सेना ने पाकिस्तान को तहस-नहस कर दिया था।
1971 का युद्ध: भारत की जीत के ये थे मुख्य कारण, पाकिस्तान को हुआ था भारी नुकसान
युद्ध में जीत के लिए सैन्य बल के अलावा अन्य कई कारक महत्वपूर्ण होते हैं इस युद्ध में भी सभी काम आए। बाकी का काम Indian Army ने कर दिया था।
War of 1948: संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद हुआ कराची समझौता, जानें क्या था ये
आजादी के बाद पाकिस्तान हमसे अलग होने के बाद किसी भी हाल में कश्मीर को अपना बनाना चाहता था। पाकिस्तान के ख्वाहिश आज भी ज्यों की त्यों है।
War of 1965: UN के दखल के बाद हुई थी 1965 के युद्ध समाप्ति की घोषणा, भारतीय सीमा में घुस गए थे 26 हजार पाक सैनिक
झगड़े की शुरुआत तब हुई जब भारतीय सुरक्षा बलों को पता चला कि पाकिस्तान ने डींग और सुराई को जोड़ने के लिए 18 मील लंबी एक कच्ची सड़क बना ली थी।
Indian Army की वो रेजीमेंट जिसने दिलाया देश को पहला परमवीर चक्र, जानें कैसे 1948 में लहराया था परचम
भारत और पाकिस्तान के बीच 1948 में कश्मीर को लेकर हुए युद्ध में भारतीय सेना का जलवा देखने को मिला था। भारतीत सेना ने युद्ध के मैदान में ऐसा हल्ला बोला था जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता होगा।
War of 1971: दुनिया ने देखा था Indian Army के सामने Pak सेना के 93 हजार जवानों के घुटने टेकने का मंजर
खचाखच भरे रेसको र्स स्टेडियम में ढाका की जनता इस ऐतिहासिक दृश्य को अपनी आंखों से देख रही थी। भारतीय सेना ने मुक्तिवाहिनी के साथ मिलकर पाकिस्तान को हराया था।
कारगिल युद्ध: परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे के ये थे आखिरी शब्द, गजब की थी देशभक्ति
Kargil War: गोली लगने के बाद भी मनोज के सिर पर दुश्मनों के खात्मे की धून सवार थी। गोलियों ने उनका पूरा सिर ही उड़ा दिया और वो जमीन पर गिर गए।
Indo-China War 1962: डेढ़ हजार सैनिक हो गए थे लापता, करीब 4 हजार को चीन ने बना लिया था बंदी
भारतीय सैनिकों के पास ठंड से बचने के लिए न ही कपड़े थे और न ही जूते। नतीजन भारत को भारी नुकसान झेलना पड़ा। इस युद्ध में हमारे 1300 सैनिक शहीद हुए थे।