
Kumaon Regiment (File Photo)
इस रेजीमेंट का नाम 4 कुमाऊं रेजीमेंट (Kumaon Regiment) है। देश को पहला ‘परमवीर चक्र’ दिलाने एवं तीन थल सेनाध्यक्ष देने सहित तमाम उपलब्धियां इस रेजीमेंट के नाम हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1948 में कश्मीर को लेकर हुए युद्ध में भारतीय सेना का जलवा देखने को मिला था। भारतीत सेना ने युद्ध के मैदान में ऐसा हल्ला बोला था जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता होगा। इस युद्ध में आर्मी की हर रेजीमेंट ने बखूबी प्रदर्शन किया था।
लेकिन एक रेजीमेंट ऐसी थी जिसके जवानों के शौर्य के आगे दुश्मन उल्टे पांव लौटने को मजबूर हो जाते थे। इस रेजीमेंट का नाम 4 कुमाऊं रेजीमेंट (Kumaon Regiment) है। देश को पहला ‘परमवीर चक्र’ दिलाने एवं तीन थल सेनाध्यक्ष देने सहित तमाम उपलब्धियां इस रेजीमेंट के नाम हैं।
इस रेजीमेंट की डेल्टा कंपनी ने 1948 में कश्मीर के बडगाम में मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व में वीरता के झंडे गाड़े थे। इस ऑपरेशन में अदम्य साहस का परिचय देते हुए मेजर सोमनाथ ने पाकिस्तानी कबायली हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। मरणोपरांत उन्हें देश का पहला ‘परमवीर चक्र’ मिला।
1962 में लद्दाख व नेफा क्षेत्र में 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी ने मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में चीनी सेना के हौंसले पस्त किए, शैतान सिंह के पराक्रम व वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत ‘परमवीर चक्र’ से नवाजा गया। वहीं, 1965 व 1971 के युद्धों सहित वर्तमान तक के तमाम युद्ध-ऑपरेशनों में कुमाऊं रेजीमेंट ने अग्रणी मोर्चों पर रहकर देश की सीमाओं की रक्षा की है।
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कुमाऊं रेजीमेंट (Kumaon Regiment) की स्थापना 1788 में हुई थी। यह कुमाऊं नामक हिमालयी क्षेत्र के निवासियों से संबंधित सैन्य दल है। जिसका मुख्यालय उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के रानीखेत में स्थित है। कुमाऊं रेजिमेंट ने 1948 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के अलावा 1962 के भारत और चीन युद्ध में जबरदस्त प्रदर्शन किया था।
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