War of 1971: लेफ्टिनेंट जनरल जैकब की ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’ की कुशल रणनीति में थी अहम भूमिका, दुश्मन पर पड़े थे भारी

युद्ध में पाक लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के पास सिर्फ ढाका में ही 26400 सैनिक थे, जबकि जैकब सिर्फ 3000 सैनिक लेकर भारी पड़े थे।

Lieutenant General JFR Jacob

Lieutenant General JFR Jacob

War of 1971: युद्ध में पाक लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के पास सिर्फ ढाका में ही 26,400 सैनिक थे, जबकि जैकब Lieutenant General Jack Farj Rafael Jacob (JFR  Jacob) सिर्फ 3,000 सैनिक लेकर भारी पड़े थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने लाजवान प्रदर्शन किया था। हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों के सामने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे याद कर वह आज भी थर-थर कांप उठते होंगे। इस युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे। पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का गठन हुआ और वह विश्व के नक्शे पर एक अलग देश के रूप में सामने आया।

इस युद्ध में सेना की जीत में  ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’ की कुशल रणनीति ने अहम भूमिका निभाई थी। इस रणनीति के तहत दुश्मनों के कब्जे वाले इलाकों पर कहर बरपाकर खुद कब्जा जमाया था। यहां तक कि भारतीय सेना ढाका तक पहुंच गई थी। इस स्पेशल रणनीति के तहत सीधे-सीधे ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) में न घुसकर गांवों के रास्तों पर फोकस किया गया था। यानी की छोटे-छोटे गांवों और देहातों से होते हुए बांग्लादेश को पाकिस्तान सेना से मुक्त करवाना।

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इस रणनीति को सफलतापूर्वक अंजाम देने में लेफ्टिनेंट जनरल जैकब (Lieutenant General JFR Jacob) की अहम भूमिका रही थी। इसके तहत सेना को पाक सेना के कब्जे वाले शहरों को छोड़कर वैकल्पिक रास्तों से भेजा गया। दुश्मनों को प्रभावहीन करके, बांग्लादेश के इन्फ्रॉस्ट्रक्चर पर कब्जा करके ढाका तक पहुंचाना लक्ष्य था। इस काम को जैकब ने बड़े ही शानदार तरीके से अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ किया।

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आर्मी की पूर्वी कमान को लीड करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल जैकब (Lieutenant General JFR Jacob) सबसे पहले ढाका पहुंचे थे। युद्ध में पाक लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के पास सिर्फ ढाका में ही 26,400 सैनिक थे, जबकि जैकब सिर्फ 3,000 सैनिक लेकर उनपर भारी पड़े थे। पाक आर्मी को घुटने टेकने के लिए मजबूर करने में जैकब का रोल अहम माना जाता है। जैकब का साल 2016 में 93 साल की उम्र में निधन हो गया था।

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