War of 1948: संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद हुआ कराची समझौता, जानें क्या था ये

आजादी के बाद पाकिस्तान हमसे अलग  होने के बाद किसी भी हाल में कश्मीर को अपना बनाना चाहता था। पाकिस्तान के ख्वाहिश आज भी ज्यों की त्यों है।

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War of 1948: आजादी के बाद पाकिस्तान (Pakistan) हमसे अलग होने के बाद किसी भी हाल में कश्मीर (Kashmir) को अपना बनाना चाहता था। पाकिस्तान की ख्वाहिश आज भी ज्यों की त्यों है।

भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान हमारी हर वो चीज हड़पना चाहता रहा है जो बेशकीमती है। पाकिस्तान और भारत के बीच अबतक चार युद्ध हो चुके हैं और हमेशा उसे शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा है। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना (Indian Army) का पराक्रम देखते ही बनता है। हमारे जवान दुश्मनों पर काल बनकर टूटते रहे हैं।

आजादी के बाद पाकिस्तान हमसे अलग  होने के बाद किसी भी हाल में कश्मीर को अपना बनाना चाहता था। पाकिस्तान की ख्वाहिश आज भी ज्यों की त्यों है। बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ पहला युद्ध इसी मुद्दे पर लड़ा। पाकिस्तान चाहता था कि कश्मीर उनके देश में शामिल हो लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजा ने ऐसा करने से इनकार करते हुए भारत में शामिल होने की ठान ली।

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इसके चलते पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया था। पाकिस्तान ने इस दौरान भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने की नाकाम कोशिश की। अंग्रेजों ने हिंदू बहुल पंथनिरपेक्ष भारत और मुसलिम राष्ट्र पाक के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप को विभाजित कर दिया। इससे उपजे दंगे और विस्थापन से लाखों लोगों की हत्या हुई और लाखों बेघर हो गए थे। बंटवारे के कुछ दिनों बाद जम्मू-कश्मीर ने भारत का हिस्सा होना स्वीकार किया।

1 जनवरी, 1949 को युद्ध समाप्त हो गया इसके बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) के हस्तक्षेप के बाद कराची समझौता हुआ। दरअसल, 1 जनवरी, 1948 को भारत ने संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने को कहा था। लगभग एक साल बाद 2 जनवरी, 1949 की दरमियानी रात को यह युद्ध समाप्त हुआ।

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इसके बाद यूएन ने दोनों देशों को 29 जुलाई, 1949 को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया। इसमें सीजफायर की लाइनें बनाई गई थीं, जिसे हम नियंत्रण रेखा के नाम से जानते हैं।

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