1948 का युद्ध: नौशेरा से राजौरी की तरफ जाने वाली 26 माइल्स रोड पर बिछी थीं लैंड माइन्स, ये है पूरी घटनाक्रम

हमारे जवानों ने बेहद ही बहादुरी के साथ लैंड माइन्स को पूरा का पूरा साफ करवाकर ही दम लिया था। दरअसल इन माइन्स को हटाना इसलिए जरूरी था।

Indian Army

War of 1971

सेना को जैसी ही इसकी भनक लगी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। हमारे जवानों ने बेहद ही बहादुरी के साथ लैंड माइन्स को पूरा का पूरा साफ करवा कर ही दम लिया था।

भारत और पाकिस्तान 1947 में बंटवारे के बाद अलग-अलग हो गए। बंटवारा होते ही पाकिस्तान कश्मीर की मांग करने लगा। कश्मीर ने भारत में शामिल होने का फैसला लिया और पाकिस्तान भड़क गया। उकसावे में उसने कश्मीर पर हमले शुरू कर दिए। देखते ही देखते दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया।

कश्मीर को किसी भी हाल में छीनने के लिए पाकिस्तान ने हर वो संभव कोशिश की जो कि एक नापाक देश कर सकता था। युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने भारतीय सेना को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए नौशेरा से राजौरी की तरफ जाने वाली 26 माइल्स रोड पर लैंड माइन्स बिछा दी थीं।

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सेना को जैसी ही इसकी भनक लगी, जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। हमारे जवानों ने बेहद ही बहादुरी के साथ लैंड माइन्स को पूरा का पूरा साफ करवाकर ही दम लिया था। दरअसल इन माइन्स को हटाना इसलिए जरूरी था क्योंकि टैंकों की आवाजाही रुक गई थी। इस वजह से टैंक के लिए इन लैंड माइन्स को खाली करते हुए जगह बनाई गई। इस दौरान उनपर फायरिंग भी होती रही, पर हमारे जवानों के हौसलों को कोई हिला नहीं सका।

8 अप्रैल को सुबह साढ़े 11 बजे जब उन्होंने इस पूरे मिशन को शुरू किया गया और 11 अप्रैल तक माइन्स हटाने का काम जारी रहा। इस दौरान रमा रघोबा राणे ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने अकेले के दम पर ही माइन्स को हटा दिया था। जान की परवाह किए बिना उन्होंने सेना के अन्य जवानों और टैंकों के लिए साफ रास्ता बनाया था। इसके लिए उन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ दिया गया।

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