War of 1965: भारत मिटा सकता था पाकिस्तान का नामो-निशान, पर संघर्ष-विराम का प्रस्ताव किया मंजूर

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़ी गई जंग (War of 1965) बेहद ही खौफनाक थी। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दिया था।

War of 1965

File Photo

War of 1965: पाकिस्तान (Pakistan) ने 6 सितंबर, 1965 को भारतीय सेना (Indian Army) ने वेस्टर्न फ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय सीमा को लांघा था। पाकिस्तान के ऐसा करते ही आधिकारिक तौर पर युद्ध की घोषणा हो गई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़ी गई जंग (War of 1965) बेहद ही खौफनाक थी। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दिया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने कश्मीर (Kashmir) हड़पने के बहुत बड़ी साजिश रची थी, जिसे जवानों ने फेल कर दिया था।

पाकिस्तान ने 6 सितंबर, 1965 को भारतीय सेना ने वेस्टर्न फ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय सीमा को लांघा था। पाकिस्तान के ऐसा करते ही आधिकारिक तौर पर युद्ध की घोषणा हो गई थी। युद्ध में कच्छ से ताशकंद तक सेना हावी रही थी। भारत चाहता तो पूरे इस युद्ध के जरिए पाकिस्तान का  नामो-निशान मिटा सकता था, लेकिन संघर्ष-विराम का प्रस्ताव मंजूर किया गया।

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दरअसल, भारत ने रूस और अमेरिका की पहल पर संघर्ष विराम का प्रस्ताव मंजूर कर लिया था। हालांकि, इससे पहले 20 सितंबर, 1965 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने आर्मी चीफ से हथियारों और गोला बारूद की जानकारी ली थी। आर्मी चीफ ने शास्त्री को बताया था कि सेना के पास अब बहुत कम गोला बारूद बचा है। जिसके बाद पूर्व पीएम ने संघर्ष विराम का प्रस्ताव मंजूर किया।

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तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण ने अपनी डायरी में लिखा कि एक किताब ‘1965 वॉर, द इनसाइड स्टोरी: डिफेंस मिनिस्टर वाई बी चव्हाण्स डायरी ऑफ इंडिया-पाकिस्तान वॉर’ में इस घटना का जिक्र किया है। किताब में बताया गया है कि भारत के पास भरपूर हथियार और गोला बारूद था। युद्ध (War of 1965) में भारतीय सेना के गोला-बारूद का केवल 14 से 20 प्रतिशत सामान ही खर्च हुआ था, अगर भारत चाहता तो पाकिस्तान का नामो-निशान मिटाने तक लड़ता रहता।

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