सियाचिन हिमखंड पर भारत और पाक सैनिकों के बीच हुई थी भिड़ंत, जानें पूरा मामला

Indian Army: दुनिया के सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन में तापमान माइनस 40 से 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। आम इंसान का यहां जीना मुश्किल होता है।

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सांकेतिक तस्वीर

Indian Army: दुनिया के सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन में तापमान माइनस 40 से 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। आम इंसान का यहां जीना बेहद ही मुश्किल माना जाता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जब-जब भिड़ंत हुई है, भारतीय सेना (Indian Army) ने शानदार प्रदर्शन किया है। हमारी सेना पाकिस्तान के खिलाफ बेहद ही आक्रामक होकर जंग के मैदान में उतरती है।

ऐसा ही 1987 में भी हुआ था। दुनिया के सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर खून जमा देने वाली ठंड के बीच भारतीय सेना के जवानों ने दुश्मन को छठी का दूध याद दिला दिया था। समुद्र तल से करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन में सेना के जवानों की बहादुरी के किस्से आज भी होते हैं।

1987 में पाक सेना ने 21 हजार फुट की ऊंचाई पर कब्जा कर एक बंकर रूपी पोस्ट का निर्माण कर लिया था। जिसके बाद दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन हिमखंड पर भारत और पाकिस्तानी सैनिकों को भिड़ंत हुई थी। यहां तापमान माइनस 40 से 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। आम इंसान का सियाचिन में जीना बेहद ही मुश्किल माना जाता है।

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पाकिस्तान ने इस पोस्ट का नाम पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह के नाम पर रखा था। इस पोस्ट की वजह से भारतीय सैनिकों को काफी समस्या हो रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि ऊंचाई पर होने की वजह से पाकिस्तान आराम से भारतीय सैनिकों पर गोली चलाने लगा था।

1987 के मई महीने में चुनी गई 60 सैनिकों की टीम पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए तैनात कर दी गई थी। नतीजन 26 जून 1987 को 21000 फुट की ऊंचाई पर बनाई गई पोस्ट पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। विश्व के इतिहास में यह पहला और आखिरी मौका था कि इनती ऊंचाई पर कोई युद्ध लड़ा गया था।

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