Today History: मोतीलाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता थे, जिनका नाम देश के सबसे धनी वकीलों में होती थी। मोतीलाल नेहरु अपने जमाने के भारत के सबसे महंगे वकील कहे जाते थे।

नौशाद (Naushad Ali) की संगीतकार के रूप में इस दौर की सफलता इतनी थी कि 1949 में ही उन्हें एक फिल्म के लिए एक लाख रुपए मिलने लगे थे गुलाम हैदर जैसे कई संगीतकारों के पाकिस्तान चले जाने का फायदा भी नौशाद और सी. रामचंद्र जैसे संगीतकारों को मिला ही

Today History: पचास साल से अधिक सक्रिय रहनेवाले नौशाद ने अपने अंतिम दौर तक भी शास्त्रीय संगीत के इस आधार को बदलते ज़माने के बावजूद काफ़ी हद तक पकड़कर रखा, यह अपने-आप में उनकी विशिष्टता को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है।

टीपू सुल्तान ने किले के दरवाजे खोलने का हुक्म दिया लेकिन पहरेदारों ने हुक्म मानने से इन्कार कर दिया। अब केवल दो ही रास्ते बचे थे। पहले-मुट्ठी भर सैनिकों को साथ लेकर अंग्रेजों से मुकाबला किया जाए, दूसरा-अंग्रेज सैनिकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया जाए। टीपू (Tipu Sultan) ने पहला रास्ता चुना और तूफान की तरह अंग्रेज सैनिकों पर टूट पड़ा। सीने पर दो गोलियां लगीं, शाही पगड़ी धूल में गिर पड़ी, लेकिन उसकी बन्दूक अभी भी दुश्मनों पर कहर ढा रही थी। अंग-अंग जख्मी हो चुका था।

Today History: टीपू सुल्तान का जन्म 10 नवंबर 1750 को वर्तमान कर्नाटक में स्थित बेंगलुरू के निकट कोलार जिले के देवनहल्ली में हुआ था हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था।

नरगिस (Nargis) को 1950 के दशक में शुरू हुए भारतीय 'सिनेमा के स्वर्णयुग' से जोड़कर देखा जाता है। कॉन्वेंट स्कूल में पढ़नेवाली इस लड़की ने बचपन में डॉक्टर बनने की ख्वाहिश पाली थी, लेकिन उसने पांच साल की उम्र में 'तलाश-ए-हक' के लिए कैमरे का सामना किया।

Today History: नरगिस को राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। इसी कार्यकाल के दौरान वे गंभीर रूप से बीमार हो गईं और 3 मई 1981 को कैंसर के कारण उनकी मौत हो गई।

Today History: आज के ही दिन भारतीय राजनीतिज्ञ एवं साहित्यकार विष्णु कांत शास्त्री जन्म 2 मई 1929, कोलकाता में हुआ था। ये उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।

संगीत निर्देशक ने कहा कि जिस गायक का नाम आप ले रहे हैं, वह गायक अच्छा है, लेकिन इस फिल्म के गाने शास्त्रीय संगीत पर आधारित हैं, जिन्हें मन्ना डे (Manna Dey) बेहतर गा सकते हैं। इस तर्क को सुनकर फिल्म निर्माता और नाराज हो गए और उन्होंने संगीत निर्देशक को धमकी देते हुए कहा कि "जो मैं कहता हूँ, वैसा ही करो, वरना मुझे तुम्हें भी फिल्म से हटाने में कोई संकोच नहीं होगा

Today History: मन्ना डे ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने चाचा के.सी.डे से हासिल की। मन्ना डे के बचपन के दिनों का एक दिलचस्प वाक्या है। उस्ताद बादल खान और मन्ना डे के चाचा एक बार साथ-साथ रियाज कर रहे थे।

दादा साहेब फाल्के की फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' के बाद से ही देश में फीचर फिल्मों का चलन लगातार बढ़ने लगा। सिनेमा में उनके पैशन को देखते हुए दादा साहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) को इंग्लैंड से भी कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होने भारत में रहकर फिल्मों का निर्माण करना चुना।

Today History: दादा साहब फाल्के का असली नाम धुंधिराज गोविन्द फाल्के था। उनका जन्म महाराष्ट्र के नासिक के निकट त्रयम्बकेश्वर में 30 अप्रैल 1870 में हुआ था।

राजनीति से तौबा करने के बाद दीपिका चिखलिया मौजूदा ख्वाहिश ‘निर्भया कांड’ पर बन रही फिल्म में पीड़ित लड़की की मां का किरदार निभाना की है।

Today History: दीपिका ने 14 साल की उम्र में एक विज्ञापन के लिए एक्टिंग की लेकिन उनके फिल्मी करियर की शुरुआत राजश्री प्रोडक्शन की साल 1983 में आई फिल्म 'सुन मेरी लैला' में मुख्य अभिनेत्री के तौर पर हुआ।

Today History: इसरो के इस लॉन्च में भारत का कार्टोसैट 2ए प्रमुख सेटेलाइट है जो सुदूर संवेदी उपग्रह श्रृंखला (आईआरएस) में तेरहवां उपग्रह है। यह एक परिष्कृत एवं मजबूत सुदूर संवेदी उपग्रह है जो दृश्य विशिष्ट स्थल प्रतिबिंब प्रदान करता है।

अस्सी के दशक में विनोद खन्ना (Vinod Khanna) की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया था जब वो बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन के बाद दूसरे नंबर के स्टारडम वाले अभिनेता बन गए थे। लेकिन इसी दौरान उनकी मां का देहान्त हो गया। मां के अचानक इस तरह चले जाने से विनोद खन्ना बहुत दुखी हुए। पीड़ा की इस वेदना में उन्हें कुछ सुझ नहीं रहा था तभी महेश भट्ट ने विनोद को ओशो रजनीश के शरण में जाने की सलाह दी। विनोद को लगा कि उन्हें सांसारिक मोह को छोड़कर आध्यात्म के राह पर आगे बढ़ना चाहिए। लिहाजा उन्होंने महेश भट्ट के साथ ओशो के अमेरिका के आश्रम में सन्यासी बन गए।

Today History: पहली ही फिल्म ‘‘मन का मीत’ से विनोद इंडस्ट्री के ऐसे मितवा बने कि उन्हें 15 फिल्मों का ऑफर मिला। इसके बाद से वो मुबंई फिल्म इंडस्ट्री के सबसे सफल अभिनेताओं की कतार में आ गए। 

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