भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 का कारगिल युद्ध (Kargil War) भारतीय सेना के शौर्य की कहानी को बखूबी बयां करता है। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा था।

रेड ईगल डिवीजन (4th infantry division) भारतीय सेना (Indian Army) की सबसे पुरानी इन्फेंट्री मानी जाती है। इसकी खासियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस डिवीजन को सबसे ज्यादा युद्धक पदक भी मिले हैं।

सेना नायक के पद से रिटायर होने वाले भरत सिंह के मुताबिक वह सर्चिंग ड्यूटी में थे तभी फायरिंग हो गई थी। गोली लगने पर मुझे मेडिकल स्टाफ ने संभाला।

Pakistan के रोड बनाने के चलते कच्छ के रण में झड़पें शुरू हो गई थीं। शुरू में तो इनमें केवल सीमा सुरक्षा बल ही शामिल थे, बाद में सेना भी शामिल हो गई।

Tanot Mata Mandir सेना के लिए आस्था के प्रतीकों में से एक है। जवान आज भी इस मंदिर का रख-रखाव खुद ही करते हैं। मंदिर का रख-रखाव सीमा सुरक्षा बल के जिम्मे है।

Indian Army: दुश्मनों ने 8 सितंबर 1965 को खेमकरण सेक्‍टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया था। ये हमला पैटन टैंक के साथ किया गया था।

पाकिस्तान आजादी के बाद से अबतक भारत के साथ विश्वासघात करता आया है लेकिन हर बार नुकसान झेलकर वापस लौटा है। ऐसा ही 1971 में भी हुआ था।

उत्तराखंड के नैनीताल में जन्में वीर योद्धा मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने अपनी दिलेरी का परिचय देते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।

'मुझे पांच गोलियां भी लगी, फिर भी कुल 48 पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को मार गिराया था। 5 हजार फुट ऊपर पहाड़ियों पर यह लड़ाई लड़ी गई थी।'

Battle Of Phillaur: अमेरिका की ओर से सबसे मजबूत और खतरनाक बताए जा रहे पैटर्न टैंक से सीधी लड़ाई में भारतीय सेना (INDIAN ARMY) ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी।

PAK ने जंग में अपने 170 से ज्यादा टैंकों को खो दिया था, इसमें 97 पैटन टैंक तो 'असल उत्तर' की लड़ाई में खत्म हो गए। वहीं INDIAN ARMY ने केवल 42 टैंक ही खोए।

पाकिस्तान भी टाइगर हिल (Tiger Hill) की अहमियत को जानता था और वह इस पर कब्जा करने की फिराक में था लेकिन भारतीय सेना ने पहले ही इसपर कब्जा कर लिया था।

पाकिस्तान ने वो बड़ी भूल की जिसका उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा। भारत पर हुए हमले के साथ ही 1971 का आधिकारिक आगाज हो गया था।

चाहे वह 1948 का युद्ध हो या फिर 1962 में चीन के साथ युद्ध और 1965 और 71 में पाकिस्तानी सेना के साथ लोहा लेना हो। Garhwal Rifles के जवानों ने हमेशा अपनी छाप छोड़ी है।

यह पदक असाधारण कर्तव्यपरायणता या अदम्य साहस के ऐसे व्यक्तिगत कारनामे के लिए प्रदान किया जाता है जो वायु सेना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हों।

युद्ध के दौरान वह कश्मीर में सैनिकों को लेकर ट्रक से जा रहे थे। दुश्मनों ने बस पर हमला बोला। फायरिंग के दौरान उन्हें कमर के पास गोली लगी।

सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव एकमात्र ऐसे सैनिक हैं, जिन्हें जिंदा रहते सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया है।

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