युद्ध के इतिहास में यह एक अद्वितीय अभियान था। बाद में पोस्ट का नाम इस अभियान में विशिष्ट योगदान के लिए एक बहादुर सैनिक के नाम पर 'बाना टॉप' रख दिया गया था।

जवानों के बलिदान को याद रखने और युद्ध में उनकी शौर्य गाथा को बताने के लिए युद्ध स्मारक बनाए जाते हैं। देश में कई जगहों पर युद्ध स्मारक बनाए गए हैं।

चीनी सेना का उद्देश्य रेजांगला दर्रे पर कब्जा कर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चुशूल गैरिसन का लेह से एकमात्र सड़क संपर्क तोड़ना था।

दुश्मनों को खदेड़ना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी। इस युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर स्थित तिथवाल क्षेत्र में लंबे समय तक एक भीषण लड़ाई लड़ी गई।

भीषण गोलाबारी के बीच, 15000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले खड़ी ढाल के पहाड़ पर चढ़ाई कर, आमने-सामने की लड़ाई में घुसपैठियों को मार गिराया था।

इजरायल बीते 6 अगस्त से हमास के ठिकानों पर इसी तरह से हमलावर है। गाजा पट्टी से आतंकवादी समूहों ने दक्षिणी इजरायल में आग लगाने वाले विस्फोटक सामग्री भेजी थी।

जंग के मैदान में उतरे तो उनकी उम्र उस वक्त महज 21 साल थी। उनके इस शौर्य के लिए उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र से नवाजा गया।

युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 'वीर चक्र' से सम्मानित किया था।

युद्ध में उनके पराक्रम का परिचय तब देखने को मिला जब वह अपने साथियों के साथ फीचूगंज पहुंचे थे। दरअसल यहां पर उन्हें नदी को रेलवे पुल के रास्ते पार करना था।

युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया। पाकिस्तान मानता है कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे। वहीं युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हुए।

चौबीस घंटे उनकी सेवा में भारतीय सेना के पांच जवान लगे रहते हैं। उनका बिस्तर लगाया जाता है। प्रमोशन और छुट्टियां उन्हें आज भी मिलते हैं।

8 और 9 दिसंबर की रात को इस ऑपरेशन लागू किया गया। एक मिसाइल शिप और दो युद्ध-पोत के जरिए कराची के तट पर मौजूद जहाजों के ग्रुप पर हमला किया गया था।

विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान (Pakistan) की नजर कश्मीर (kashmir) पर थी जिसे वो आज तक हमसे नहीं छीन पाया है। ऐसा भारतीय सेना के शौर्य के चलते संभव हो सका है।

15 दिसंबर 1971 के दिन को गोलंदाज फौज की तीसरी बटालियन का नेतृत्व मेजर होशियार कर रहे थे। बटालियन को आदेश दिया गया कि बसंतर नदी के पार तैनाती लें।

बसंतर (बैटल ऑफ बसंतर) की मशहूर लड़ाई में दुश्मन से घिर जाने के बावजूद अपने हर जूनियर ऑफिसर को एक इंच भी पीछे हटने के लिए मना कर दिया था।

पाक सेना के जवानों ने जैसे ही भारतीय सेना की टुकड़ी को देखा सब इधर-उधर भागने लगे। एकदम से दुश्मन चौंक उठे और हथियार छोड़कर भागने लगे।

देशभक्ति पर बॉलीवुड में सालों से फिल्में बनती आ रही है। कई फिल्में तो सुपर हिट रही हैं। देशभक्ति एक ऐसा टॉपिक है जिससे हर नागरिक जुड़ा रहता है।

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