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मां बनने के बाद कानन देवी (Kanan Devi) ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया और समाज सेवा के कार्यों में व्यस्त रहने लगीं। उन्होंने जरूरतमंद महिलाओं की सहायता के लिए 'महिला शिल्पी महल' नामक एक समाज सेवी संस्था बना ली और समाज सेवा के कार्यों जुड़ गई।

कैटरीना (Katrina Kaif) की परवरिश मिश्रित संस्कृति में हुई है। उनके पिता मूलत: कश्मीर के हैं, लेकिन उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता स्वीकार कर ली है, जबकि कैटरीना की माँ ब्रिटेन की हैं। लंदन और हवाई द्वीप में पली-बढ़ी कैटरीना अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मॉडल भी रह चुकी हैं।

मदन मोहन से आशा भोंसले को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि आप अपनी हर फिल्मों के लिए लता दीदी को हीं क्यों लिया करते हैं, इस पर मदन मोहन कहा करते थे कि जब तक लता जिंदा है मेरी फिल्मों के गाने वही गाएगी।

कहा जाता है कि फिल्म निर्माता-निर्देशक और अभिनेता किशोर साहू ने कृष्णा को एक नाटक में देखा था। वह उनसे बहुत प्रभावित हुए थे। किशोर साहू ने कृष्णा को बीना राय (Bina Rai) नाम दिया। ‘

हिंदी फिल्मों में नायक केंद्रित कथानकों का ही जोर रहा है, लेकिन 'बिमल दा' ने उसे भी खारिज कर दिया और नायिकाओं को केंद्रित कर बेहद कामयाब फिल्में बनाई। ऐसी फिल्मों में मधुमती', 'बंदिनी', 'सुजाता', 'परिणीता', 'बेनजीर', 'बिराज बहू' आदि शामिल हैं। सामाजिक समस्याओं से रू-ब-रू कराते हुए भी बिमल रॉय  (Bimal Roy) भारतीय मूल्यों और परंपराओं को भूलते नहीं दिखते।

जोहरा सहगल ने किसी से कहा था, 'तुम अब क्या मुझे इस तरह से देखते हो जब मैं बूढ़ी और बदसूरत हो गई हूं। तब देखते, जब मैं जवान और बदसूरत थी।'

बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखों और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए।

बॉलीवुड में शायद ही ऐसा कोई बड़ा स्टार हो जिसे सरोज ने डांस न कराया हो। हर किसी को अपनी ताल पर नचाने वाली सरोज आज पूरे देश में ‘डांस मास्टर’ के नाम से जानी जाती हैं।

सरोज खान को शुक्रवार सुबह मलाड के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। सरोज खान को आखिरी विदाई देने के लिए उनके परिवारवाले और कुछ रिश्तेदार ही मौजूद थे।

राज कुमार जिस पुलिस स्टेशन में तैनात थे वहां अक्सर फिल्म इन्डस्ट्री के लोग आते-जाते रहते थे। एक बार फिल्म निर्माता बलदेव दुबे किसी काम से वहां आए हुए थे। राज कुमार के बात करने के अंदाज से वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म का ऑफर दे दिया।

कल्याणजी-आनंदजी (Kalyanji–Anandji) ने धीरे-धीरे पश्चिम भारत के पारम्परिक लोकसंगीत को भी अपनी खास शैली से सैंवार कर अपनी फिल्मों में जगह देना शुरू कर दिया था। 'मदारी' के शीर्षक गीत के दूसरे भाग 'जमीं पर चाँद का नूर देखो' (लता, मुकेश) में तो राजस्थानी लोकशैली और अरबी संगीत शैली दोनों के ही रिद्मों का बहुत सुंदर मित्रण उन्होंने प्रस्तुत किया है।

मुंबई पहुंचने के बाद वहां गुजर-बसर करने के लिए यश (Yash Johar) को नौकरी की जरूरत पड़ी। उन्होंने वहां टाइम्स ऑफ इंडिया में एक फोटोग्राफर के असिस्टेंट के तौर पर काम करना शुरू किया।

अपनी धाकड़ अदायगी से स्क्रीन पर राज करने वाले अमरीश पुरी अपने करियर के पहले स्क्रीन टेस्ट में फेल हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने ESIC में नौकरी शुरू कर दी थी।

कहा जाता है कि पहले से शादीशुदा मिथुन (Mithun Chakraborty) ने गुपचुप तरीके से श्रीदेवी (Sridevi) से शादी भी कर ली थी, लेकिन दोनों की नजदीकियों की खबर मिथुन की पत्नी को लग गई और उनके विरोध के कारण ही मिथुन ने श्रीदेवी से अपना नाता तोड़ा।

उम्मीद थी यह सितारा अभी इंडस्ट्री में लंबे समय तक जगमगाएगा लेकिन समय से पहले ही 'सरफराज धोखा दे गया'...

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajpoot) ने आज मुंबई के बांद्रा स्थित अपने आवास में खुदकुशी कर ली। शुरुआती रिपोर्टों में उनकी मौत को आत्महत्या बताया जा रहा है। सुशांत राजपूत के नौकर ने बांद्रा पुलिस को फोन कर उनके आत्महत्या करने की जानकारी दी है।

महान फिल्मों की श्रेणी में 'मुगल-ए-आजम' वाकई महान है। भव्यसैट, नामी सितारे और मधुर गीत-संगीत की त्रिवेणी इस फिल्म की सफलता का राज है। इतिहास भले ही सलीम और अनारकली की मोहब्बत और अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाता हो, परन्तु फिल्म जगत ने हर बार अनारकली को साकार कर उसे पर्दे पर जीवन्त बनाया है।

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