सियाचिन: जहां सांस लेनी भी बहुत मुश्किल, विजिबिलिटी शून्य से भी नीचे; फिर भी डटे रहते हैं जवान
Siachen: करीब 23000 फीट की ऊंचाई पर 75 किलोमीटर लंबे और करीब दस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सियाचिन ग्लेशियर के कई इलाके बेहद ही दुर्गम हैं।
सियाचिन में शहीद हुए दोनों जवानों के पार्थिव शरीर आज पंजाब पहुंचेंगे, सीएम ने किया मुआवजे का ऐलान
Siachen: दोनों जवानों के पार्थिव शरीर लेह से मंगलवार (27 अप्रैल) को उनके पंजाब के पैतृक गांव पहुंचेंगे। शहीद जवानों का नाम प्रभजीत सिंह और अमरदीप सिंह था।
सियाचिन में शहीद हुआ मेरठ का जवान, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
Virendra Kumar: मिली जानकारी के मुताबिक, 14 अप्रैल की सुबह उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई थी। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उनका निधन हो गया।
Siachen: माइनस 50 डिग्री तक तापमान को झेलने वाले तंबू में रहते हैं जवान, जानें कितना मुश्किल है रहना
भारतीय सेना के जवान हर मुश्किल को सामना कर भारत मां की रक्षा करते हैं। सेना के जवान अपनी जिंदगी दांव पर लगातार सीमा पर तैनात रहते हैं। यह तैनाती अगर सियाचिन (Siachen) की हो तो चुनौती और ज्यादा बड़ी हो जाती है।
बर्फ पर चलने वाली मोटरवाहन का इस्तेमाल करते हैं जवान, पेट्रोलिंग में है बेहद कारगार
भारतीय सेना (Indian Army) सीमा पर दिन रात ड्यूटी कर देश की रक्षा में लगी रहती है। जवान किसी भी हद तक गुजरकर भारत मां की रक्षा करते हैं। सेना द्वारा कई मौकों पर इसे साबित भी किया जा चुका है।
सियाचिन ग्लेशियर के आस-पास मौजूद हैं ये क्षेत्र, रणनीतिक रूप से ये जगह हैं बेहद महत्वपूर्ण
लद्दाख (Ladakh) में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र यानी 20 हजार फुट की ऊंचाई स्थित सियाचिन पर हमारे सैनिक दिन रात डटे रहते हैं। ये वह जगह है जो कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस जगह पर थोड़ी सी भी ढिलाई भारत को काफी भारी पड़ सकती है।
Siachen: कमर में रस्सी बांध कर लाइन में चलते हैं सैनिक, माइनस 50 डिग्री तापमान में हालात होते हैं बेकाबू
Siachen: एक जवान के पीछे दूसरे जवान और फिर उनके पीछे पूरा दल। इस तरह एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जाता है। ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से उन्हें धीमे-धीमे चलना पड़ता है।
खास ट्रेनिंग बनाती है Indian Army के जवानों को चट्टान से भी मजबूत, -50 डिग्री सेल्सियस तापमान में डटे हैं सरहदों पर
पूर्वी लद्दाख से लगती चीनी सीमाओं पर डटे करीब 50 हजार भारतीय सेना (Indian Army) जवान बीते कई महीनों से सरहद की पहरेदारी कर रहे हैं। इसके लिए वे बर्फीली सर्दी में अपनी जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं।
Siachen: वो जगह जहां पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन है मौसम, जानें क्यों
भारतीय जवान भारत मां की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। सरहद पर दिन हो या रात, हमारे जवान कड़ा संघर्ष कर देश की रक्षा करते हैं। सर्दी हो या गर्मी सेना के जवान सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
सियाचिन में 29 साल की उम्र में शहीद हुआ जवान, इसी महीने होनी है पत्नी की डिलीवरी
शहीद बिलजंग गुरुंग की पत्नी गर्भवती हैं, और वह भी अपने पति को देखने पहुंची हैं। इस मौके पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल भी सुबाथू पहुंचे हैं।