Siachen: माइनस 50 डिग्री तक तापमान को झेलने वाले तंबू में रहते हैं जवान, जानें कितना मुश्किल है रहना

भारतीय सेना के जवान हर मुश्किल को सामना कर भारत मां की रक्षा करते हैं। सेना के जवान अपनी जिंदगी दांव पर लगातार सीमा पर तैनात रहते हैं। यह तैनाती अगर सियाचिन (Siachen) की हो तो चुनौती और ज्यादा बड़ी हो जाती है।

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Siachen: ठंड में तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे पहुंच जाता है, ऐसे में जवानों का यहां रहना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसके लिए सेना के जवान बंकर में रहते हैं।

भारतीय सेना के जवान हर मुश्किल को सामना कर भारत मां की रक्षा करते हैं। सेना के जवान अपनी जिंदगी दांव पर लगातार सीमा पर तैनात रहते हैं। यह तैनाती अगर सियाचिन (Siachen) की हो तो चुनौती और ज्यादा बड़ी हो जाती है।

ऐसा इसलिए क्योंकि यह दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्रों में से एक है। यहां पर ड्यूटी करना एक तरह से मौत को गले लगाना है। फिर भी हमारे सैनिक यहां पर दिन रात जुट रहते हैं। ये वह जगह है जो कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस जगह पर थोड़ी सी भी ढिलाई भारत को काफी भारी पड़ सकती है। सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है।

मुश्किल हालातों में क्या खाते हैं हमारे जवान? ‘रेडी टू ईट’ की होती है अहम भूमिका

ठंड में तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे पहुंच जाता है, ऐसे में जवानों का यहां रहना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसके लिए सेना के जवान बंकर में रहते हैं या फिर माइनस 50 डिग्री तक तापमान को झेलने वाले तंबू में रहते हैं।

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इन तंबूओं को इस तरह से डिजाइन किया जाता है जिससे ठंड का असर कुछ कम हो सके। विपरीत हालात से बचाने वाले तंबू सेना के लिए आयात किए जाते हैं। भारत चीन सीमा पर इन तंबू की अहम भूमिका रहती है। एक तरह से यह सेना के लिए चलता फिरता रहने का ठिकाना होता है। तंबू के अलावा जवानों को  कपड़े, भोजन, ल्यूब्रिकेंट्स, स्पेयर पार्ट्स, चिकित्सा सेवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जाती हैं।

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