Siachen: सेना के जवानों के लिए यहां रहना ही सबसे अधिक चुनौती भरा होता है। हर चीज यहां पर बर्फ हो जाती है। गर्म पानी चंद सेकेंड में बर्फ का गोला बन जाता है।
भारतीय जवान भारत मां की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। सरहद पर दिन हो या रात, हमारे जवान कड़ा संघर्ष कर देश की रक्षा करते हैं। सर्दी हो या गर्मी सेना के जवान सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
भौगोलिक स्थिति के हिसाब से हर जगह की अलग-अलग चुनौतियां होती हैं। जवानों के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण इलाका चुनना हो तो सियाचिन ग्लेशियर सबसे पहले नंबर पर आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां का मौसम हमारे जवानों के लिए पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन माना जाता है।
Indian Army के लिए बेहद अहम है सरहद की ये जगह, यहां हजारों जवान हुए हैं शहीद
सियाचिन (Siachen) में ठंड में तापमान शून्य से -50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे पहुंच जाता है। ऐसे में सेना के जवानों का यहां रहना ही सबसे अधिक चुनौती भरा होता है। हर चीज यहां पर बर्फ हो जाती है। गर्म पानी चंद सेकेंड में बर्फ का गोला बन जाता है।
भारतीय सेना के जवान 16 से 20 हजार फीट की ऊंचाई तक सीमा की सुरक्षा में तैनात हैं। यहां की चुनौतियों का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि सियाचिन (Siachen) में साल 1984 से अब तक बिना युद्ध के 873 जवान शहीद हो चुके हैं। कई जवान तो बर्फ के नीचे दब चुके हैं और कई जवानों का तो पार्थिव शरीर भी नहीं मिल सका है।
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यहां बर्फ का पहाड़ कब जवानों पर आ गिरे, इसका पता नहीं होता। ऐसे में जवान काफी सतर्कता के साथ यहां ड्यूटी करते हैं। खानपान से लेकर तमाम तरह की सुविधाएं सेना को दी जाती हैं ताकि वे किसी तरह देश की रक्षा कर सकें और दुश्मनों के नापाक मंसूबों पर पानी फेर सकें।
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