Siachen: कमर में रस्सी बांध कर लाइन में चलते हैं सैनिक, माइनस 50 डिग्री तापमान में हालात होते हैं बेकाबू

Siachen: एक जवान के पीछे दूसरे जवान और फिर उनके पीछे पूरा दल। इस तरह एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जाता है। ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से उन्हें धीमे-धीमे चलना पड़ता है।

Siachen Glacier

Siachen

Siachen: एक जवान के पीछे दूसरे जवान और फिर उनके पीछे पूरा दल। इस तरह एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जाता है। ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से उन्हें धीमे-धीमे चलना पड़ता है और रास्ता कई हिस्सों में बंटा होता है।

भारतीय सेना के जवान किसी भी चुनौती का सामना कर भारत माता की रक्षा करते हैं। सरहद पर परिवार से दूर हमारे जवान हर दिन चुनौती का सामना करते हैं। सेना के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण जगहों में से एक सियाचिन (Siachen) है। यहां पर माइनस 50 डिग्री तापमान होता है और चारों तरह कई फीट गहरी बर्फ।

सेना की मूवमेंट यहां काफी परेशानी से भरी होती है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बेस कैंप से भारत की जो चौकी सबसे दूर है उसका नाम इंद्रा कॉल है और सैनिकों को वहां तक पैदल जाने में लगभग 20 से 22 दिन का समय लग जाता है। पैदल चलना बेहद कठिनाई भरा होता है। इसके साथ ही जान जोखिम में डालने वाला भी होता है।

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ऐसे में हमारे जवान एक लाइन में चलते हैं। इसके लिए रस्सी का सहारा लिया जाता है। एक जवान के पीछे दूसरे जवान और फिर उनके पीछे पूरा दल। इस तरह एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जाता है। ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से उन्हें धीमे-धीमे चलना पड़ता है और रास्ता कई हिस्सों में बंटा होता है।

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एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचने के लिए निश्चित समय होता है जिसे पहले से ही तय कर लिया जाता है। ऐसे इलाके में पैदल चलना वो भी बर्फ से ढके हजारों फीट ऊंचे पहाड़ों पर हर किसी के बस की बात नहीं। सियाचिन (Siachen) एक ऐसी जगह है जहां हजारों फीट गहरी खाइयां, न पेड़-पौधे, न जानवर, न पक्षी।

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