तालिबान (Taliban) ने एक बार फिर अफगानिस्तान (Afghanistan) में अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसमें यूएई (UAE), तुर्की (Turkey) और पाकिस्तान (Pakistan) उसका समर्थन कर रहे हैं।
पाकिस्तान (Pakistan) दुनिया भर में आतंक फैलाता है, ये सबको मालूम है। भारत के खिलाफ तो आतंकवाद (Terrorism) ही उसका सबसे बड़ा हथियार है। अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान (Afghanistan) को तालिबानी आतंकियों के हाथों में सौंप देना चाहता है। दरअसल, अमेरिका अफगानिस्तान में शांति के लिए तालिबानियों और अफगान नेताओं के बीच संधि कराने की कोशिश में लगा हुआ है।
वहीं, भारत भी अफगानिस्तान में लोकतंत्र स्थापित करना चाहता है और इसके लिए वह अमेरिका के कदमों का समर्थन कर रहा है। पर पाकिस्तान के इरादे कुछ और ही हैं। पाकिस्तान चाहता है कि काबुल में तालिबानी सत्ता संभालें। बता दें कि अमेरिका ने तालिबान के साथ फिर से बातचीत शुरू करने की घोषणा की है।
अफगानिस्तान (Afghanistan) के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जालमे खलीलजाद जल्द ही काबुल, दोहा और अन्य क्षेत्रीय राजधानी का दौरा करेंगे ताकि अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता लाई जा सके।
28 फरवरी को अमेरिकी प्रशासन ने बयान जारी कर यह बात कही थी। जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद खलीलजाद का यह पहला दौरा है। अमेरिका द्वारा जारी बयान के मुताबिक, विशेष प्रतिनिधि जल्द ही दिल्ली और इस्लामाबाद का भी दौरा कर सकते हैं।
बिहार: नक्सली और सब जोनल कमांडर संजय सिंह ने किया सरेंडर, बताई नक्सली संगठन के दुर्व्यवहार की सच्चाई
गौरतलब है कि साल 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था। तालिबान ने इस दौरान आम नागरिकों पर खूब अत्याचार किए। इसके बाद साल 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान को तालिबानियों से आजाद कराया था।
लेकिन, तालिबान ने एक बार फिर यहां अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसमें यूएई, तुर्की और पाकिस्तान (Pakistan) तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। पाकिस्तान तो तालिबानियों का सबसे बड़ा मददगार बना हुआ है।
बता दें कि जब 2001 में जब अमेरिका ने हमला किया तो बहुत से तालिबानी नेताओं ने भागकर पाकिस्तान में शरण ले ली थी। पाकिस्तान से ही तालिबानी लगातार अफगानिस्तान में हमले कर रहे हैं। काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI लगातार तालिबानियों की मदद कर रही है।
वहीं, अमेरिका के साथ शांति वार्ता के बीच अफगानिस्तान (Afghanistan) में टारगेट किलिंग की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। लगभग हर रोज नेताओं, मीडियाकर्मियों, पुलिसकर्मियों समेत आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है।
ये भी देखें-
एक सर्वे के मुताबिक अफगानिस्तान (Afghanistan) के 52 फीसदी हिस्से पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान इसलिए तालिबान का समर्थन कर रहा है ताकि वह अफगानिस्तान की धरती को भारत के खिलाफ उपयोग कर सके।
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App