पाकिस्तान-तालिबान के संयुक्त हमले से भी नहीं डरे पंचशीर के शेर, अहमद मसूद ने कहा- “जिंदा हूं और जंग जारी रहेगी”

पिछली रात तालिबान-पाकिस्तान के संयुक्त हमले में पंचशीर घाटी में कम से कम 1000 लोगों के मारे जाने की खबर है जो कि 5000 तक बढ़ने की संभावना है। 

National Resistance Front

तालिबान की तरफ से दावा किया गया हैं कि उसने पंजशीर पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है, लेकिन पंजशीर के शेर अभी भी बहादूरी से डटे हुये हैं। तालिबान ने पाकिस्तानी सेना की मदद से पंजशीर घाटी में ड्रोन हमले करके अहमद मसूद के घर को निशाना बनाते हुये बमबारी की साथ ही नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (National Resistance Front) के कई पोस्टों को तबाह कर दिया। सूत्रों का मानना है कि पिछली रात तालिबान-पाकिस्तान के संयुक्त हमले में पंचशीर घाटी में कम से कम 1000 लोगों के मारे जाने की खबर है जो कि 5000 तक बढ़ने की संभावना है। 

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ऐसे में तालिबान के खिलाफ लोहा ले रहे नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (National Resistance Front) के नेता अहमद मसूद ने सोमवार को जारी एक ऑडियो संदेश में कहा कि वह अभी जिंदा हैं और तालिबान के खिलाफ जंग जारी रहेगी। उन्होंने सभी अफगानी लोगों से तालिबान के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर कार्रवाई का आग्रह भी किया है।

नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (National Resistance Front) के नेता अहमद मसूद ने 19 मिनट का एक ऑडियो क्लीप जारी किया और अपने फेसबुक पेज पर बताया कि वह जिंदा हैं और तालिबान के खिलाफ जंग जारी रहेगी।

मसूद के अनुसार, पाकिस्तानी एयरफ्रंट के विमानों ने उनके विमानों को निशाना बनाया और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (National Resistance Front) ने कुछ पाकिस्तानी विमानों को नष्ट कर दिया व पाकिस्तानी सैनिकों को भी मार गिराया है।

मसूद ने दावा किया है कि पाक और तालिबान की तरफ से पंजशीर में बमबारी की गई है जिसमें एनआरएफ प्रवक्ता फहीम दस्ती और मसूद परिवार के कई सदस्य मारे गए हैं।

मसूद ने बताया कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगा है और यह भी कहा, यह लड़ाई अब नहीं रुकेगी। वहीं उन्होंने कहा कि रविवार रात को पाकिस्तान और तालिबान की तरफ से पंचशीर में कई ठिकानों पर भारी बमबारी की गई। हथियार व गोलाबारूद के जखीरे में लगातार हो रही कमी के बाद यह कठोर निर्णय लिया गया कि या तो यहीं डटे रहें और तालिबान का मुकाबला करते हुए देश के लिए कुर्बान हो जाएं या फिर ऊंची पहाड़ियों में जाकर शरण ली जाए।

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