सुकमा IED ब्लास्ट: बुरी तरह जख्मी हो चुके थे असिस्टेंट कमांडेंट नितिन भालेराव, फिर भी 7 घंटों तक नक्सलियों को दिया मुंहतोड़ जवाब

कई कठिनाईओं और तमाम चुनौतियों के बावजूद जवान लगातार नक्सलियों पर प्रहार कर रहे हैं। अपनी जान दे कर भी वे नक्सलियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करते हैं। ऐसे ही एक जवान थे नितिन पी भालेराव (Nitin P Bhalerao)।

Nitin P Bhalerao

नितिन पी भालेराव (फाइल फोटो)।

नितिन पी भालेराव (Nitin P Bhalerao) की जांबाजी की वजह से नक्सली जवानों को और नुकसान पहुंचाने में कामयाब नहीं हो पाए।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में नक्सली आए दिन सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाते हैं। बस्तर का इलाका तो लाल आतंक का गढ़ माना जाता है। सुकमा, बीजापुर, नरायणपुर जैसे जिले नक्सलियों के आतंक की चपेट में हैं। इन इलाकों में सुरक्षाबल के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर आम लोगों की रक्षा के लिए मुस्तैद रहते हैं।

वे उन दुरूह इलाकों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां नक्सली (Naxals) अपना गढ़ बनाए हुए हैं। इसमें कई बार जवानों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। कई कठिनाईओं और तमाम चुनौतियों के बावजूद जवान लगातार नक्सलियों पर प्रहार कर रहे हैं। अपनी जान दे कर भी वे नक्सलियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करते हैं। ऐसे ही एक जवान थे नितिन पी भालेराव (Nitin P Bhalerao)।

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नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में ताड़मेटला गांव के पास नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर सीआरपीएफ (CRPF) कोबरा की छह टीमों को भारी नुकसान पहुंचाने की साजिश रची थी। लंबी दूरी तक बारूदी सुरंग बिछाई गई थी। नक्सलियों की योजना थी कि सीआरपीएफ कोबरा टीमों को पहले बारूदी सुरंग यानी आईईडी विस्फोट कर चोट पहुंचाएंगे और उसके बाद घात लगाकर हमला कर देंगे।

नक्सलियों की तैयारी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कोबरा जवानों के हथियार छीनना चाहते थे। लेकिन CRPF की 206वीं कोबरा बटालियन के सहायक कमांडेंट नितिन पी भालेराव (Nitin P Bhalerao) और उनके साथियों ने नक्सलियों को अपने इरादों में कामयाब नहीं होने दिया। 

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सुकमा के मिनपा में बीते 21 मार्च को एक बड़ी नक्सली मुठभेड़ हुई थी। इसमें डीआरजी के 17 जवान शहीद हुए थे। तीन नक्सली भी मारे गए थे। नक्सली हमले के बाद एके-47 जैसी 15 बदूंकें और जवानों के पास मौजूद वायरलैस उपकरण आदि लूट कर भाग गए थे। इसके बाद से ही सीआरपीएफ की कोबरा इकाई ने यहां कैंप लगाने की ठानी थी। कोबरा के जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें ललकारा था।

मिनपा की तरफ बढ़ रहे कोबरा दस्ते में कुल छह टीमें बनाई गई थीं। कोबरा 206डी से तीन टीमें 10, 11 व 12 गठित की गई, जबकि कोबरा 206ए से 1, 2 व 3 टीम बनी थी। कोबरा डी की टीमों की कमान चीता गणेश वलुंज के हाथ में थी, जबकि कोबरा 206ए टीमों की कमान पंथेर रमेश यादव को सौंपी गई।

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टू आईसी दिनेश कुमार सिंह इस ऑपरेशन को ओवरऑल कमांड कर रहे थे। उनके साथ असिस्टेंट कमांडेंट चीता नितिन भालेराव (Nitin P Bhalerao) भी थे। चूंकि उस वक्त रात थी, तो इन्हें बारूदी सुरंग का अंदाजा नहीं था। जिस जगह पर ये विस्फोट हुआ था, वहां पहले जवानों को इसकी कोई भनक नहीं लग पाई थी। इसलिए जवान आगे बढ़ रहे थे। तभी अचानक एक बड़ा धमाका हुआ।

विस्फोट के बाद दिनेश कुमार सिंह, नितिन भालेराव और सिपाही श्रीराम दूर जाकर गिरे। इसके बावजूद उन्होंने अपने हथियार नहीं छोड़े। विस्फोट के तुरंत बाद नक्सलियों ने घात लगाकर हमला बोल दिया। इसका मतलब यह था कि नक्सलियों का प्लान केवल बारूदी सुरंग के विस्फोट करना ही नहीं था। उन्होंने घायल जवानों पर हमला कर हथियार लूटने की योजना बना रखी थी।

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नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। घायल होने के बाद भी इन तीन जवानों ने उनकी फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। नितिन भालेराव और साथियों ने उन्हें अपने करीब तक नहीं आने दिया। जवानों ने बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद नक्सलियों को रोके रखा। नितिन भालेराव काफी खून बह जाने के बाद भी नक्सलियों से 7 घंटे तक डटकर लड़े थे। 

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बाद में वहां जवानों की दूसरी टीम भी पहुंच गई। उसके बाद नक्सलियों को वहां से खदेड़ दिया गया। इस हमले में नौ जवान घायल हो गए थे। बुरी तरह से जख्मी नितिन भालेराव ने रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में भार्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। नितिन पी भालेराव (Nitin P Bhalerao) की जांबाजी की वजह से नक्सली जवानों को और नुकसान पहुंचाने में कामयाब नहीं हो पाए।

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