रिटायर्ड चीनी कर्नल ने कहा- LAC पर ‘बफर जोन’ है दोनों देशों के विवाद का समाधान

चीन के एक रिटायर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने सुझाव दिया कि टकराव से बचने के लिए दोनों पक्षों को विश्वास बहाली पर पूर्व में बनी सहमति पर फिर से आगे बढ़ना चाहिए और कम विवादास्पद उपायों को कार्य में लाना चाहिए।

LAC

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भारत-चीन के बीच गलवान घाटी (Galwan valley) को लेकर जारी गतिरोध के दौरान चीन के एक रिटायर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने सुझाव दिया है कि उनके देश और भारत को मौजूदा विश्वास बहाली उपायों को धरातल पर लाना चाहिए। साथ ही‚ सीमा विवाद को टकराव का रूप लेने से रोकने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) से लगे ‘सर्वाधिक खतरनाक क्षेत्रों’ में ‘बफर जोन’ बनाने के ‘सर्वाधिक साहसिक कदम’ के साथ इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए।

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भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी (Galwan valley) सीमा झड़प के एक साल पूरे होने के मौके पर हांगकांग से प्रकाशित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट समाचार पत्र में ‘चीन और भारत को सीमा गतिरोध पर आगे बढ़ने के लिए अतीत पर विचार करना चाहिए’ शीर्षक वाले आर्टिकल में पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वरिष्ठ कर्नल (रिटायर) झाउ बो ने कहा‚ ‘यह जानलेवा घटना खौफनाक थी जो बल प्रयोग नहीं करने के लिए दोनों देशों के बीच बनी दशकों पुरानी सहमति को तोड़ने के करीब थी।’

करीब पांच दशकों में सीमावर्ती इलाके में चीनी सैनिकों के साथ हुई पहली घातक झड़प में गलवान घाटी (Galwan valley) में पिछले साल 15 जून को 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके चलते दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले स्थानों पर भारी संख्या में सैनिक और हथियार तैनात किये थे। फरवरी में‚ चीन आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में उसके भी पांच सैन्य अधिकारी मारे गये थे। हालांकि‚ यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इसमें मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या कहीं अधिक थी।

यहां सिंगुआ विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्युरिटी ऐंड स्ट्रेटजी में सीनियर फेलो बो ने तनाव घटाने के लिए अपने प्रस्तावों वाले आर्टिकल को चीन की आधिकारिक मीडिया के बजाय हांगकांग मीडिया में प्रकाशित करने का विकल्प चुना।

उन्होंने अपने आर्टिकल में कहा है‚ ‘घातक सीमा झड़प के सदमे के साल भर बाद‚ अब भी काफी तनाव बना हुआ है क्योंकि असत्यापित एलएसी को लेकर मुद्दों का समाधान करने के तरीकों पर सहमति नहीं बन पाई है।’

बो ने कहा कि इसके प्रभाव आज भी महसूस किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए भारत की मदद के लिए चीन ने जब मदद का हाथ बढ़ाया‚ तब उसे गैर दोस्ताना रवैये के रूप में प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने कहा कि इस तरह का व्यवहार यह बयां करता है कि रिश्ते किस कदर ठंडे पड़ गये हैं। उन्होंने सुझाव दिया‚ ‘टकराव से बचने के लिए दोनों पक्षों को विश्वास बहाली पर पूर्व में बनी सहमति पर फिर से आगे बढ़ना चाहिए और कम विवादास्पद उपायों को कार्य में लाना चाहिए।’

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