तालिबान का हिमायती पाकिस्तान, मदद लेकर अमेरिका को ही दिया धोखा

अमेरिका (America) में 9/11 के हमले के बाद उसने अफगानिस्तान (Afghanistan) से तालिबान (Taliban) और अलकायदा का सफाया करने के लिए पाकिस्‍तान (Pakistan) से मदद ली थी।

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इतना पैसा लेने के बाद भी पाकिस्‍तान (Pakistan) ने अमेरिका (America) को धोखा दिया और तालिबान (Taliban) का साथ दिया। इसका नतीजा है कि आज एक बार फिर से तालिबान ने अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा कर लिया है।

अमेरिका (America) में 9/11 के हमले के बाद उसने अफगानिस्तान (Afghanistan) से तालिबान (Taliban) और अलकायदा का सफाया करने के लिए पाकिस्‍तान (Pakistan) से मदद ली थी। इसके बदले अमेरिका ने साल 2002 से साल 2018 के बीच पाकिस्‍तान को 33 अरब डॉलर की बड़ी आर्थिक मदद दी। इसमें 14.6 अरब डॉलर की सहायता तो केवल पाकिस्‍तानी सेना ही को दी गई।

इतना पैसा लेने के बाद भी पाकिस्‍तान (Pakistan) ने अमेरिका (America) को धोखा दिया और तालिबान (Taliban) का साथ दिया। इसका नतीजा है कि आज एक बार फिर से तालिबान ने अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा कर लिया है। सोशल मीडिया पर पाकिस्‍तानी सेना के पूर्व जनरलों ने इस्‍लाम की जीत बताया और जश्‍न मनाया।

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वहीं, पाकिस्‍तान में एक वीडियो को जमकर शेयर किया गया, जिसमें पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख हामिद गुल कह रहे हैं, “जब इतिहास‍ लिखा जाएगा तो यह जोर देकर कहा जाएगा कि आईएसआई ने अमेरिका की मदद से सोवियत संघ को अफगानिस्‍तान में शिकस्‍त दे दी। फिर एक और जुमला होगा…आईएसआई ने अमेरिका की मदद से अमेरिका को मात दे दी।”

बता दें कि पाकिस्‍तान के इसी धोखे को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने समझ लिया था। यही वजह है कि उन्‍होंने सत्‍ता में आने के बाद उसकी सैन्‍य मदद को रोक दिया था। अमेरिका जब तालिबान के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्‍तान को पैसा दे रहा था, उसी समय पाकिस्‍तान, तालिबान की मदद कर रहा था।

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अमेरिका चेयरमैन ऑफ द ज्‍वाइंट चीफ्स ऑफ स्‍टॉफ की पूर्व सलाहकार सारा चायेस कहती हैं, “हमने अपने आपको एक धर्मसंकट में पाया। आप एक ऐसे देश को पैसा दे रहे हैं जिसने आपके शत्रु को पैदा किया है और इससे आप लगातार अपने शत्रु से लड़ते रहते हैं।”

सारा ने कहा, “अगर आप युद्ध को जीतना चाहते हैं तो आपको पाकिस्‍तान के खिलाफ ऐक्‍शन लेना होगा। वहीं अगर आप अफगानिस्‍तान में कार्रवाई करना चाहते हैं तो आपको पाकिस्‍तान को मनाना होगा।”

बता दें कि पाकिस्‍तान ने तालिबानी आतंकियों को शरण दी, उन्‍हें प्रशिक्षण दिया और हथियार मुहैया कराया। अपने आधिकारिक बयान में पाकिस्‍तान के बड़े नेता और सेना के आला अफसर कहते हैं कि वे अफगानिस्‍तान का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं, लेक‍िन तालिबान राज आने पर इस्‍लामाबाद में जश्‍न मनाया गया।

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पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री ने तालिबान राज को गुलामी जंजीरें तोड़ने वाला बताया। यह काफी है इस बात को समझने के लिए कि पाकिस्तान तालिबान का किस कदर हिमायती है और समय आने पर वह किसी को भी धोखा दे सकता है।

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