Punjab: गलवान घाटी में शहीद जवान के परिवार की सरकार से शिकायत, एक साल बाद भी नहीं पूरा हुआ वादा

गलवन घाटी झड़प (Galwan Valley Violence) के एक साल पूरे हो चुके हैं। इस हिंसक झड़प में पंजाब के चीमा के नजदीकी गांव तोलावाल के गुरबिंदर सिंह शहीद हो गए थे।

Martyr Gurbinder Singh

Martyr Gurbinder Singh

सरकार ने गलवन घाटी झड़प (Galwan Valley Violence) में शहीद हुए गुरबिंदर सिंह (Martyr Gurbinder Singh) के नाम पर गांव के मुख्य रोड से घर तक पक्की सड़क बनाने का वादा किया गया था।

गलवन घाटी झड़प (Galwan Valley Violence) के एक साल पूरे हो चुके हैं। इस हिंसक झड़प में पंजाब के चीमा के नजदीकी गांव तोलावाल के गुरबिंदर सिंह शहीद हो गए थे। उनकी शहादत के एक साल बाद भी सरकार ने शहीद के परिवार से जुड़ा कोई वादा पूरा नहीं किया है।

पंजाब सरकार ने शहीद गुरबिंदर (Martyr Gurbinder Singh) की याद में गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित करने, स्टेडियम बनाने, गांव की मुख्य सड़क से घर तक पक्की सड़क बनाने, शहीद के भाई को सरकारी नौकरी देने और भतीजी की आर्मी स्कूल में पढ़ाई करवाने का वादा किया था। पर एक साल बाद भी ये वादे पूरे नहीं हुए।

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गुरबिंदर के भाई गुरप्रीत सिंह को सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें अभी तक नौकरी नहीं मिल पाई है। शहीद के नाम पर गांव में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम बनाया जाना था, लेकिन जमीन न मिलने के कारण स्टेडियम का निर्माण भी नहीं हो पाया है।

इसके अलावा शहीद के नाम पर गांव में लाइब्रेरी बनाई जानी थी, लेकिन अलग लाइब्रेरी बनाने के बजाय केवल सरकारी स्कूल में एक कमरे को ही लाइब्रेरी बनाकर खानापूर्ति कर दी गई है। पंजाब सरकार ने प्रतिमा भी नहीं लगवाया। शहीद के परिवार ने खुद अपने खर्च से गुरबिंदर सिंह की प्रतिमा स्थापित की है।

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शहीद के परिवार ने भी दुख जताया कि सरकार शहीदों के नाम पर सियासी रोटियां सेकने में जुटी है। सरकार ने शहीद गुरबिंदर (Martyr Gurbinder Singh) के नाम पर गांव के मुख्य रोड से घर तक पक्की सड़क बनाने का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक सड़क भी नहीं बन पाई है।

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शहीद के पिता लाभ सिंह और मां चरणजीत कौर का कहना है कि गुरबिंदर सिंह की भतीजी जसमीन चीमा के एक प्राइवेट स्कूल में अपनी पढ़ाई कर रही है। जसमीन कौर अपने चाचा की तरह ही सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती है। सरकार ने वादा किया था कि जसमीन को आर्मी स्कूल में दाखिल दिया जाएगा, लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं किया गया है।

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