Galwan Clash
आज गलवान घाटी के हिंसक झड़प (Galwan Clash) को एक साल पूरे हो गए हैं। इसमें बिहार रेजिमेंट ने गलवां में चीनी पोस्ट को तहस-नहस कर दिया था।
गलवान घाटी (Galwan Valley) पर भारत और चीन (India-China) की सेनाओं के बीच हुई झड़प को एक साल हो गए हैं। इतने दिनों के बाद दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाल नहीं होने के बावजूद भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है।
आज इस हिंसक झड़प (Galwan Clash) को एक साल पूरे होने पर जानते हैं 16 बिहार रेजिमेंट (16 Bihar Regiment) की बहादुरी के किस्से। इस रेजिमेंट ने 15 जून, 2020 को गलवां में चीनी पोस्ट को तहस-नहस कर दिया था। झड़प में भारत की तरफ से करीब 100 जवान और चीन की तरफ से 350 से ज्यादा सैनिक शामिल थे। संख्या में कम होने के बावजूद बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर चीन की पोजीशन को हटा दिया।
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पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी झड़प (Galwan Clash) हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। शहीदों में बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं। चीन के भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबर है, लेकिन कोई आधिकारिक आंकड़ा अब तक जारी नहीं किया गया है।
दरअसल, 15 जून की शाम को इंडियन 3 इन्फेंट्री डिवीजन कमांडर और कई वरिष्ठ अधिकारी पूर्वी लद्दाख सेक्टर में श्योक और गलवां नदियों के वाई जंक्शन के पास मौजूद थे। दोनों देशों के बीच बातचीत होनी थी, इसलिए ये अफसर वहां मौजूद थे। 16 बिहार रेजिमेंट समेत भारतीय सुरक्षा बलों से सुनिश्चित करने को कहा गया था कि चीन अपनी पोस्ट हटा ले, जिसके बाद एक छोटी पेट्रोलिंग टीम (पैट्रॉल) इस मैसेज को देने के लिए भेजा गया था
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चाइनीज ऑब्जर्वेशन पोस्ट पर उस वक्त 10-12 सैनिक थे, जिन्हें भारतीय पैट्रॉल ने जाने के लिए कहा, जैसा कि उच्च-स्तरीय मिलिट्री बातचीत में तय हुआ था। लेकिन, चीन की सेना ने ऐसा करने से मना कर दिया और पैट्रॉल अपनी यूनिट को इसकी जानकारी देने वापस आ गया। तब 16 बिहार के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू समेत 50 भारतीय जवान चीन के सैनिकों को समझाने गए कि उन्हें पीछे जाना होगा क्योंकि वो भारत की जमीन पर हैं।
इस बीच जब भारतीय पैट्रॉल लौटा था, तब तक चीन की पोस्ट पर मौजूद सैनिकों ने गलवां घाटी में पीछे की तरफ मौजूद अपने जवानों को बुला लिया। जिसके बाद करीब 300-350 चीनी सैनिक पोस्ट पर आ गए थे। जब दोबारा भारतीय पैट्रॉल पहुंचा, तब तक चीनियों ने अपनी पोस्ट पर ऊंची जगहों पर और सैनिक इकट्ठा कर लिए थे और पत्थर, हथियार जमा कर लिए थे।
भारतीय पैट्रॉल के दोबारा पहुंचने पर दोनों पक्ष बातचीत करने लगे, लेकिन जल्दी ही बहस शुरू हो गई और भारतीय जवानों ने चीन के टेंट और इक्विपमेंट हटाने शुरू कर दिए। चीन के सैनिकों ने पहले से ही हमले की तैयारी कर रखी थी और उन्होंने पहला हमला 16 बिहार के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू और हवलदार पलानी पर किया।
संतोष बाबू के शहीद होते ही बिहार रेजिमेंट के जवानों ने अपना आपा खो दिया और संख्या में कम होने के बावजूद वो चीन के सैनिकों पर तेजी से हमला करने लगे, लेकिन चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों पर ऊंची जगहों से पत्थर फेंक रहे थे। ये लड़ाई देर रात तीन घंटे तक चली, जिसमें कई चीन के सैनिक या तो मारे गए या फिर गंभीर रूप से घायल हो गए। अगली सुबह जब स्थिति थोड़ी शांत हुई तो चीन के सैनिकों के खुले में पड़े शवों को भारतीय जवानों ने चीन को सौंप दिया।
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हालांकि, आज भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों ओर से सैन्य ताकत में इजाफा जारी है। खबर आती रही है कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में चीन लगातार क्षमता बढ़ा रहा है। हालांकि, मौके पर किसी भी हालात का सामना करने के लिए भारतीय पक्ष भी तैयार है।
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