सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कही ये बात

भारतीय सेना (Indian Army) और नौसेना (Indian Navy) में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन की मांग को लेकर दायर याचिक पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 25 मार्च को बड़ा फैसला सुनाया है।

Supreme Court

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज भारतीय सेना (Indian Army) की 17 महिला अधिकारियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

भारतीय सेना (Indian Army) और नौसेना (Indian Navy) में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन की मांग को लेकर दायर याचिक पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 25 मार्च को बड़ा फैसला सुनाया है।

उच्चतम न्यायालय ने सेना में स्थायी कमीशन देने की मांग कर रही कई महिला एसएससी अधिकारियों की याचिकाओं की सुनवाई की और कहा कि एसीआर मूल्यांकन प्रक्रिया में कमी है तथा वह भेदभावपूर्ण है।

न्यायालय ने कहा कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) मूल्यांकन मापदंड में उनके द्वारा भारतीय सेना (Indian Army) के लिए अर्जित उपलब्धियों एवं पदकों को नजरअंदाज किया गया है।

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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि जिस प्रक्रिया के तहत महिला अधिकारियों का मूल्यांकन किया जाता है, उसमें पिछले साल उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाए फैसले में उठायी लैंगिक भेदभाव की चिंता का समाधान नहीं किया गया है।

शीर्ष अदालत ने कई महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर फैसला सुनाया जिन्होंने पिछले साल फरवरी में केंद्र को स्थायी कमीशन, पदोन्नति और अन्य लाभ देने के लिए दिए निर्देशों को लागू करने की मांग की।

स्थाई कमीशन का मतलब

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से पहले आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में सेवा दे चुके पुरुषों को ही स्थाई कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था। दूसरी ओर वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन पहले से मिल रहा है।

शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं 14 साल तक सर्विस के बाद रिटायर हो जाती हैं। अब वे स्थाई कमीशन के लिए अप्लाई कर सकेंगी। सेलेक्ट होने वाली महिला अफसर आगे भी सर्विस जारी रख सकेंगी और रैंक के हिसाब से रिटायर होंगी।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज भारतीय सेना (Indian Army) की 17 महिला अधिकारियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सेना ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद अभी तक महिला अधिकारियों को 50% तक स्थायी आयोग (पीसी) प्रदान नहीं किया है।

गौरतलब है कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सेना में कंबैट इलाकों को छोड़कर सभी इलाकों में महिलाओं को स्थाई कमान देने के लिए बाध्य है।

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