Corona Double Mutant Varient: कोरोना के नए ‘डबल म्यूटेंट’ वैरिएंट से क्यों है डर, जानें इसके खतरे

देश में कलेक्‍ट किए गए सैम्‍पल्‍स में कोरोना वायरस का एक नया ‘डबल म्‍यूटंट’ वैरिएंट (Corona Double Mutant Varient) मिला है। 18 राज्‍यों के 10,787 सैम्‍पल्‍स में कुल 771 वैरिएंट्स मिले हैं। इनमें 736 यूके, 34 साउथ अफ्रीकन और एक ब्राजीलियन है।

Corona Double Mutant Varient

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देश में कलेक्‍ट किए गए सैम्‍पल्‍स में कोरोना वायरस का एक नया ‘डबल म्‍यूटंट’ वैरिएंट (Corona Double Mutant Varient) मिला है।

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) एक बार फिर बढ़ रहा है। रोजाना नए मामलों की संख्‍या में वृद्धि हो रही है। इससे चिंता और बढ़ गई है। देश में कलेक्‍ट किए गए सैम्‍पल्‍स में कोरोना वायरस का एक नया ‘डबल म्‍यूटंट’ वैरिएंट (Corona Double Mutant Varient) मिला है। 18 राज्‍यों के 10,787 सैम्‍पल्‍स में कुल 771 वैरिएंट्स मिले हैं। इनमें 736 यूके, 34 साउथ अफ्रीकन और एक ब्राजीलियन है।

नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्‍टर सुजीत कुमार ने कहा कि जिन राज्‍यों में केसेज तेजी से बढ़े हैं, वहां अलग म्‍यूटेशन प्रोफाइल का पता चला है। लेकिन वो वैरिएंट्स डिटेक्‍ट किए गए हैं, वे पिछले छह से आठ महीनों में सबसे ज्‍यादा फैले वाले वैरिएंट्स में शामिल हैं।

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विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिटेन के इस कोरोना वायरस वैरिएंट के करीब 20 म्‍यूटेशन हैं। यानी कि यह 20 अलग-अलग रूपों में है, जो इंसान के शरीर में जाकर कोशिकाओं को प्रभावित करता है। मीडिया रिपोर्ट में स्‍कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रूज के संक्रामक रोग विशेषज्ञ का कहना है कि ये म्‍यूटेशन कोरोना वायरस को तेजी और आसानी से फैलने के लायक बना देते हैं।

आसान भाषा में कहें तो ‘डबल म्‍यूटेशन’ तब होता है जब वायरस के दो म्‍यूटेटेड स्‍ट्रेन्‍स मिलकर एक तीसरा स्‍ट्रेन बनाते हैं। भारत में जो ‘डबल म्‍यूटंट’ वैरिएंट है वो E484Q और L452R म्‍यूटेशंस का कॉम्बिनेशन है। E484Q और L452R को अलग से वायरस को और संक्रामक व कुछ हद तक वैक्‍सीन से इम्‍युन पाया गया है।

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वायरस में बदलाव आते रहते हैं मगर अधिकतर की वजह से ज्‍यादा परेशानी नहीं होती। लेकिन कुछ म्‍यूटेशंस के चलते वायरस ज्‍यादा संक्रामक या घातक हो सकता है। डबल म्‍यूटेशन की वजह से वायरस के भीतर इम्‍युन रेस्‍पांस से बचने की क्षमता आ जाती है यानी ऐंटीबॉडीज उसका कुछ नहीं बिगाड़ पातीं। एक बड़ा रिस्‍क ये है कि पहले से बने टीकों का वैरिएंट पर असर होगा या नहीं, यह नहीं पता होता।

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