जानें क्या है ‘टूलकिट’ और दिशा रवि की गिरफ्तारी से जुड़ा पूरा मामला

गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने ‘टूलकिट’ (Toolkit) शब्द का जिक्र किया।

Disha Ravi

आप किसी कार्यक्रम को शुरू करने या उसका दायरा बढ़ाने, उसे असरदार और सफल बनाने के लिए कुछ एक्शन पॉइंट्स बनाते हैं, इसे डिजिटल भाषा में ‘टूलकिट’ (Toolkit) कहा जाता है।

गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने ‘टूलकिट’ (Toolkit) शब्द का जिक्र किया। इसको लेकर 22 साल की एमबीए छात्रा दिशा रवि (Disha Ravi) की गिरफ्तारी भी हो गई। जब पुलिस ने पहली बार ‘टूलकिट’ का नाम लिया तो लोगों को समझ ही नहीं आया कि आखिर यह ‘टूलकिट’ है क्या? तो पहले जानते हैं ‘टूलकिट’ के बारे में।

दरअसल, ‘टूलकिट’ (Toolkit) किसी मुद्दे को समझाने के लिए तैयार किया गया एक डिजिटल डॉक्युमेंट होता है। इसे किसी भी थ्योरी को प्रैक्टिकल के रूप में समझाने के लिए बनाया जाता है। आसान भाषा में कहें तो आप किसी कार्यक्रम को शुरू करने या उसका दायरा बढ़ाने, उसे असरदार और सफल बनाने के लिए कुछ एक्शन पॉइंट्स बनाते हैं, इसे डिजिटल भाषा में टूलकिट कहा जाता है।

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इस टूलकिट को उस कार्यक्रम या आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ साझा किया जाता है, जिससे कि आंदोलन को प्रभावी और व्यापक बनाया जा सके। टूलकिट को किसी रैली, हड़ताल या आंदोलन के दौरान दीवारों पर लगाए जाने वाले पोस्टर का डिजिटल वर्जन कह सकते हैं। इसमें सोशल मीडिया पर इस्तेमाल होने वाले हैशटैग का जिक्र किया जाता है।

साथ ही यह भी बताया जाता है कि किस दिन और किस वक्त किस तरह के ट्वीट्स या पोस्ट करने से आंदोलन को फायदा पहुंच सकता है। टूलकिट में आंदोलनकारियों को कैंपेन से जुड़ी सामग्री और खबरों आदि की जानकारी भी दी जा सकती है। साथ ही, प्रदर्शन करने का तरीका भी बताया जा सकता है।

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दिल्ली पुलिस का दावा है कि पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने गूगल डॉक्युमेंट के जरिए टूलकिट शेयर किया था। ग्रेटा थनबर्ग ने तीन फरवरी को किसान आंदोलन से जुड़ा एक टूलकिट ट्विटर पर पोस्ट किया। हालांकि, बाद में उसे डिलीट कर दिया गया। इस ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा था, ‘अगर आप किसानों की मदद करना चाहते हैं तो आप इस टूलकिट (दस्तावेज) की मदद ले सकते हैं।’

चार फरवरी को ग्रेटा ने दोबारा टूलकिट (Toolkit) शेयर किया और लिखा,  ‘यह नया टूलकिट है, जिसे उन लोगों ने बनाया है, जो इस समय भारत में जमीन पर काम कर रहे हैं। इसके जरिए आप चाहें तो उनकी मदद कर सकते हैं।’

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दिल्ली पुलिस ने इस टूलकिट को विद्रोह भड़काने वाला दस्तावेज बताया। साथ ही, इसके लेखकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। इस मामले में ग्रेटा थनबर्ग के बाद अब तक चार नाम एमओ धालीवाल, दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु का नाम सामने आया है।

एमओ धालीवाल पर पुलिस का आरोप है कि उसके संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन पर टूलकिट बनवाया है। दिल्ली पुलिस इस संगठन को खालिस्तान समर्थक बता रही है।

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वहीं, दिल्ली पुलिस के मुताबिक, महाराष्ट्र के बीड का रहने वाला शांतनु इंजीनियर है। वह निकिता, जैकब और दिशा का सहयोगी है। वह निकिता के साथ एनजीओ एक्सआर से जुड़ा हुआ है। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के ज्वॉइंट कमिश्नर प्रेम नाथ के मुताबिक, शांतनु ने यह टूलकिट दिशा, निकिता और अन्य लोगों के साथ साझा की थी।

इसके अलावा, दिल्ली पुलिस निकिता जैकब की तलाश कर रही है। मुंबई की निकिता महाराष्ट्र और गोवा स्टेट बार काउंसिल में रजिस्टर्ड है। वह सोशल जस्टिस और क्लाइमेट एक्टिविस्ट है। सोशल मीडिया प्रोफाइल के मुताबिक, वह बॉम्बे हाईकोर्ट में एडवोकेट है। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि निकिता ने दिशा और शांतनु के साथ मिलकर टूलकिट बनाया और एडिट किया।

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दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 22 साल की एमबीए छात्रा दिशा रवि (Disha Ravi) को बंगलुरु से गिरफ्तार किया है। दरअसल, दिशा ने साल 2019 में क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रुप ‘फ्राइडे फॉर फ्चूयर’ की इंडिया विंग शुरू की थी। इस इंटरनेशनल ग्रुप की संस्थापक ग्रेटा थनबर्ग हैं।

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, किसान आंदोलन से जुड़े जिस टूलकिट (Toolkit) को ग्रेटा ने ट्विटर पर पोस्ट किया था, उसका ड्राफ्ट दिशा ने ही शांतनु और निकिता के साथ मिलकर तैयार किया। साथ ही, उसे संपादित भी किया। इस टूलकिट को सर्कुलेट करने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया।

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वहीं, पुलिस के अनुसार, दिशा ने यह टूलकिट (Toolkit) ग्रेटा को टेलीग्राम ऐप के माध्यम से भेजा। लेकिन मामला बिगड़ता देखकर दिशा ने ग्रेटा से इसे हटाने के लिए कहा। बाद में दिशा ने टूलकिट के लिए बना व्हाट्सएप ग्रुप भी डिलीट कर दिया। दिशा का कहना है कि वह किसान आंदोलन का समर्थन करना चाहती थी। ऐसे में उसने इस गूगल डॉक्युमेंट की महज दो लाइनें ही संपादित की थीं।

दिशा की गिरफ्तारी और ‘टूलकिट’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा है कि जिस टूलकिट के आधार पर दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया है और देशद्रोह जैसा गंभीर आरोप लगाया है वो बिल्कुल बेमानी है क्योंकि इस टूलकिट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हिंसा को भड़काने वाला हो।

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उनके मुताबिक, इस टूटकिट में राजद्रोह करने जैसा कुछ भी नहीं है। वो कहते हैं कि देश के हर नागरिक को चुनी हुई सरकार के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है। वो ये भी स्पष्ट करते हैं कि देशद्रोह को लेकर 1962 में सुप्रीम कोर्ट इस बात को साफ कर चुका है कि देशद्रोह तभी माना जाता है जब किसी भी हरकत से हिंसा भड़काने की गतिविधि देखने को मिलती हो और इस टूट किट में ऐसा कुछ भी नहीं है।

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जस्टिस दीपक गुप्ता ने 1962 में केदारनाथ सिंह बनाम स्टेट ऑफ बिहार केस का हवाला दिया है। साथ ही वो कहते हैं कि यह हो सकता है कि आप किसानों के प्रोटेस्ट का समर्थन या विरोध कर सकते हैं, आप किसानों के साथ सहमत या असहमत हो सकते हैं। लेकिन ऐसा कहना कि टूलकिट में राजद्रेह जैसा कुछ है, इसका मतलब आपको कानून की समझ ही नहीं है।

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